राज्य कृषि समाचार (State News)

पोकरण में हुई किसान चौपाल में पाले से रबी फसलों के बचाव के उपाय पर दी जानकारी

05 जनवरी 2023, पोकरण: पोकरण में हुई किसान चौपाल में पाले से रबी फसलों के बचाव के उपाय पर दी जानकारी –  स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय  बीकानेर से सम्बद्ध  कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण द्वारा ग्राम दुधिया में किसान चौपाल का आयोजन किया गया जिसमे 21 ग्रामीण कृषकों  ने भाग लिया। किसान चौपाल में केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ के जी व्यास ने बताया किशीत लहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियाँ एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हैं तथा अध.पके फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं व बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सरसों, गेहूँ, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में 0.1 प्रतिशत गन्धक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौहा तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती हैं। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की सम्भावना बनी रहे तो छिड़काव को 15 दिनों के अन्तर से दोहरातें रहें । खड़ी फसलो में एक प्रतिशत एनपीके का घोल बनाकर छिड़काव करने से बढवार अधिक होने के साथ साथ पैदावार ज्यादा होगी । 

पोकरण में हुई किसान चौपाल में पाले से रबी फसलों के बचाव के उपाय पर दी जानकारी

कार्यक्रम में पशुपालन विशेषज्ञ डॉ राम निवास ने बताया कि दीर्घकालीन उपाय के रुप में खेत की उत्तर-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच.बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूलए, खेजड़ी, अरडू आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झौंकों से फसल का बचाव हो सकता है। उन्होंने फसलो में रासायनिक खाद का आवश्यकता अनुरूप इस्तेमाल करते हुए देशी खाद के उपयोग पर जोर दिया । केंद्र के प्रसार विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नही गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रबी फसलों में फूल आने एवं बालियाँ/फलियाँ आने व बनते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक सम्भावनाएं रहती है। अतः इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। उन्होंने बताया कि पौधों एवं सीमित क्षेत्रा वाले उद्यानों/नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिये फसलों को टाट, पोलीथिन अथवा भूसे से ढक देवें।  किसान चौपाल में हनुमाना राम, रूपा राम, विष्ण राम, जगमाल सिंह, विक्रम सिंह एवं किरता राम इत्यादि मोजूद रहे ।

महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (04 जनवरी 2023 के अनुसार)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़टेलीग्राम )

Advertisements