राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान में इफको नैनो उर्वरक महाअभियान: किसानों को आधुनिक कृषि विधियों से किया परिचित  

15 सितम्बर 2025, भोपाल: राजस्थान में इफको नैनो उर्वरक महाअभियान: किसानों को आधुनिक कृषि विधियों से किया परिचित – भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संस्था (इफको) ने राजस्थान के अजमेर में राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएसएस) के सहयोग से नैनो उर्वरक उपयोग महाअभियान के तहत एक दिवसीय फसल विचार गोष्ठी का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कुल 351 प्रगतिशील किसान शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इफको के निदेशक राम निवास गढ़वाल ने की।

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इस अवसर पर कई विशेषज्ञ और अधिकारी उपस्थित थे, जिनमें डॉ. विनय भारद्वाज (निदेशक, एनआरसीएसएस), डॉ. धमेंद्र सिंह भाटी (अध्यक्ष, केवीके अजमेर), सुधीर मान (राज्य विपणन प्रबंधक, इफको राजस्थान), डॉ. ए.पी. सिंह (वरिष्ठ प्रबंधक, इफको जयपुर) सहित अजमेर जिले के इफको सदस्य भी मौजूद थे।

किसानों को नैनो उर्वरकों व नई तकनीकों की जानकारी

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने किसानों से अपील की कि वे संतुलित उर्वरकों के साथ-साथ नैनो उर्वरक और ड्रोन जैसी आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाएं। उन्होंने कहा, “मानव, पृथ्वी और समूचा ब्रह्मांड पंचतत्वों से निर्मित है, इसलिए हमें प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करना होगा।”

डॉ. विनय भारद्वाज ने बताया कि संस्थान में नैनो उर्वरकों पर कई ट्रायल चल रहे हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम किसानों के लिए लाभकारी होंगे। श्री सुधीर मान ने इफको के उर्वरकों की उपलब्धता और नैनो उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

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टिकाऊ खेती व कृषि सेवा पर विशेष चर्चा

डॉ. धमेंद्र सिंह भाटी ने रबी फसलों की उन्नत खेती पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. ए.पी. सिंह ने टिकाऊ खेती में नैनो उर्वरकों के महत्व और लाभ बताए। अमित कुमार ने कीटनाशकों के सुरक्षित और सही उपयोग के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही, डॉ. सुबोध सैनी ने पशुपालन और पशुओं की देखभाल पर किसानों को मार्गदर्शन दिया।

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कार्यक्रम का संचालन डॉ. ए.पी. सिंह ने किया और समापन अवसर पर श्री निर्भय चौधरी ने सभी अतिथियों, अधिकारियों और किसानों का धन्यवाद किया। इस गोष्ठी ने किसानों को न केवल नैनो उर्वरक जैसी नई तकनीकों से परिचित कराया, बल्कि टिकाऊ खेती और समग्र कृषि विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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