State News (राज्य कृषि समाचार)

प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा हरियाणा

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30 अक्टूबर 2022, चण्डीगढ़प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा हरियाणा – कृषि प्रधान राज्य होने के नाते हरियाणा का देश के खाद्यान भंडार में उल्लेखनीय योगदान है। आज के समय की जरूरत के मद्देनजर कृषि क्षेत्र में भी बदलाव की आवश्यकता है। स्वस्थ जीवन और समृद्ध किसान की अवधारणा के अनुरूप हरियाणा आज प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है। प्राकृतिक खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बल्कि किसानों के लिए भी अच्छी आमदनी का सौदा साबित हो रही है।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी सोच के अनुरूप प्रदेश सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य की उपजाऊ शक्ति को बचाने और खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए किसानो को प्राकृतिक खेती की और बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। इसके लिए सरकार ने एक समर्पित प्राकृतिक खेती पोर्टल भी शुरू किया है और अब तक 2994 किसानों ने पंजीकरण कर प्राकृतिक खेती में अपनी रुचि दिखाई है।

प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दे रही है राज्य सरकार

किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतू 4 ड्रम खरीदने पर 3 हजार रुपये, देसी गाय की खरीद के लिए 25 हजार रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। साथ ही, सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती उत्पाद की ब्रांडिग व पैकेजिंग पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान भी किया गया है। 

हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान से मिलेगी मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को मजबूती

31 अगस्त 2022 तक 28,95,399 मृदा के सैंपल एकत्रित किए जा चुके हैं, जिनके विश्लेषण का कार्य तेजी गति से किया जा रहा है। हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के प्रत्येक एकड़ के मृदा के सैंपल एकत्रित करके सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे।

प्रदेश में परीक्षण प्रयोगशालाएं

वर्तमान में हरियाणा राज्य में कुल 48 परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। 4 बड़ी भूमि परीक्षण प्रयोगशालाओं व 9 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के भवन निमार्ण का कार्य प्रगति पर है जो कि चालू वित्तवर्ष के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। 222 राजकीय सीनियर सेंकेंडरी स्कूलों व महाविद्यालयों के विज्ञान अध्यापकों और शिक्षकों को सीएसएसआरआई, करनाल व सीसीएसएचएयू, हिसार में मृदा परीक्षण की ट्रेनिंग करवाई गई है। राजकीय सीनियर सेंकेंडरी व महाविद्यालयो में 222 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं।

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