राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

गोमा प्रियंका: जामुन की एक ऐसी किस्म, जो किसानों को बना रही है लाखों का मालिक

13 दिसंबर 2024, भोपाल: गोमा प्रियंका: जामुन की एक ऐसी किस्म, जो किसानों को बना रही है लाखों का मालिक – भारत में कृषि और बागवानी के क्षेत्र में नवाचार ने किसानों के लिए नए अवसरों के दरवाजे खोले हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है जामुन की किस्म ‘गोमा प्रियंका,’ जिसे गुजरात के गोधरा स्थित केन्द्रीय बागवानी प्रयोग स्टेशन ने विकसित किया। यह किस्म न केवल पोषण सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का भी साधन बन गई है।

जामुन को आयरन, शर्करा, खनिज, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर पौष्टिक फल माना जाता है। इसके फलों को ताजा खाने के साथ-साथ जेली, जैम, स्क्वैश, वाइन और अचार जैसे उत्पादों में भी संसाधित किया जा सकता है। यह मसालेदार स्वाद के साथ गर्मियों के लिए ताजगी भरा पेय भी है। औषधीय गुणों से भरपूर जामुन जीवाणुरोधी, एंटिफंगल, एंटीवायरल, हाइपोग्लाइसेमिक और एंटीडायबिटिक प्रभावों के लिए जाना जाता है।

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गोमा प्रियंका: अनुसंधान और विकास की कहानी

2002 में केन्द्रीय बागवानी प्रयोग स्टेशन, गोधरा ने जामुन के स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए व्यापक शोध शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप 2010 में जामुन की ‘गोमा प्रियंका’ नामक किस्म विकसित की गई। इसे अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए आदर्श बनाने के लिए खासतौर पर तैयार किया गया।

इस नई किस्म को छोटे कद, उच्च उपज, और 85-90% गूदे की सामग्री के कारण किसानों के बीच बेहद पसंद किया गया। यह किस्म 10वें वर्ष से प्रति पेड़ 50-70 किलो फल देने में सक्षम है। इसके अलावा, कम बीज वजन और नियमित फलन इसे घनी रोपण तकनीक के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

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‘गोमा प्रियंका’ किस्म की लोकप्रियता गुजरात से बढ़कर राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश तक फैल गई। इन क्षेत्रों में 800 से अधिक किसानों ने इसे अपनाया और ब्लॉक वृक्षारोपण शुरू किया। वीएनआर और अंबिका एग्रो जैसी नर्सरी ने इस किस्म की सामग्री बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई।

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किसानों की आय में वृद्धि

इस किस्म के तहत लगाए गए पूर्ण विकसित पेड़ किसानों को सालाना 2,50,000 रुपये से 3,50,000 रुपये तक की आय प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, किसानों को उत्पादन तकनीकों में नवाचारों से लाभ हुआ है, जिससे अन्य क्षेत्रों के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।

गोमा प्रियंका किस्म ने न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है, बल्कि पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी योगदान दिया है। यह पहल युवा किसानों को प्रेरित करने के साथ-साथ अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खेती की संभावनाओं को भी बढ़ा रही है।

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