गीता और हीराकली ने अपनाई सुपर फूड चिया की खेती
02 अप्रैल 2025, मंडला: गीता और हीराकली ने अपनाई सुपर फूड चिया की खेती – मंडला जिले में सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन आत्मा प्रदर्शन अंतर्गत परियोजना संचालक श्री आर डी जाटव के मार्गदर्शन में जिले में 150 एकड़ में चिया की खेती की जा रही है। इसी क्रम में ब्लॉक बीजाडांडी के ग्राम लावर मुड़िया में महिला किसान गीता टेकाम एवं हीरा कली वरकड़े ने अपने खेतों में बीटीएम श्री मोहित गोल्हानी के मार्गदर्शन में अपने खेतों में पहली बार चिया, की खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का कार्य कर रही है।
श्री गोल्हानी ने बताया कि चिया , पोदीना परिवार का एक वार्षिक पौधा है। इसे मुख्य रूप से इसके बीजों के लिए लगाया जाता है। चिया के बीजों में कई पोषक तत्व होते हैं। चिया की खेती में कम खाद की ज़रूरत होती है। चिया की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है। चिया का बीज 1 से 1.5 किलो प्रति एकड़ लगता है । उत्पादन अगर समय पर बुवाई की जाती है तो 5 से 6 क्विंटल और अगर देरी से बुवाई की जाने पर 3 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है। इसका बाजार मूल्य 150 से 170 रुपया मिलता है। इस हिसाब से छोटे किसानों के लिए यह फसल अधिक आमदनी का साधन बन सकती है।
चिया की खेती से जुड़ी कुछ खास बातें – चिया के बीजों में 25 से 60% तेल होता है। चिया के बीजों में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होते हैं। चिया के बीजों का इस्तेमाल दवा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और इंजीनियरिंग में होता है। चिया के बीजों से स्वस्थ त्वचा, मजबूत हड्डियां और मांसपेशियां होती हैं. चिया के बीज हृदय और पाचन तंत्र को बेहतर करते हैं। चिया के बीज मधुमेह को कम करने में भी सहायक होते हैं।
चिया की खेती के लिए ज़रूरी बातें – चिया की खेती में कम खाद की जरूरत होती है। चिया की खेती में खरपतवार एक समस्या है।बुवाई के 25-30 दिन बाद खरपतवार निकाल देना सही रहता है। चिया की फसल काफी मजबूत होती है और इस पर खरपतवार नाशक का कोई असर नहीं होता ,इसलिए चिया की खेती में यांत्रिक खरपतवार नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाती है।
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