किसान रहें सावधान: धान की फसल पर तना छेदक और भूरा फुदका का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन
07 सितम्बर 2025, भोपाल: किसान रहें सावधान: धान की फसल पर तना छेदक और भूरा फुदका का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन – मध्यप्रदेश के दतिया जिले के उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विभाग ने जानकारी दी है कि जिले में इस समय धान और मूंगफली की खेती सबसे ज्यादा क्षेत्र में की जा रही है। लगातार हुई भारी बारिश की वजह से दूसरी फसलों को बहुत नुकसान हुआ है और उनकी बुवाई भी सही से नहीं हो सकी। वर्तमान में धान की फसल में खरपतवार, कीट और रोगों का असर दिखाई दे रहा है। देरी से बोई गई धान में खरपतवार से बचने के लिए किसान हाथ से निराई या कोनीवीडर का उपयोग करें। साथ ही बिसपाइरीबैक सोडियम 10% SC कीटनाशक को 250 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से, रोपाई के 15-25 दिन के अंदर छिड़काव करें।
तना छेदक कीट: पहचान और नियंत्रण
धान की फसल में इस समय तना छेदक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, जो फसल की उपज पर बुरा असर डाल सकता है। इस कीट की पहचान करना काफी आसान है। इसकी शुरुआत पत्तियों पर सफेद लकीरें बनने से होती है। धीरे-धीरे फसल की बीच वाली पत्ती सूख जाती है, जिसे किसान आमतौर पर “सुकड़ी” के नाम से जानते हैं। इसके अलावा जब फसल में बालियां बनने लगती हैं, तो यह कीट उन्हें भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे बालियां सफेद रह जाती हैं और उनमें दाना नहीं बनता। समय पर नियंत्रण न करने पर यह कीट पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है।
उपाय:
इन कीटों से बचने के लिए निम्न कीटनाशकों का छिड़काव करें:
1. क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 15.5% SC – 150 मिली/हेक्टेयर या
2. लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 5% EC – 250 मिली/हेक्टेयर या
3. कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP – 1 किग्रा/हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
भूरा फुदका कीट का भी खतरा, समय रहते करें नियंत्रण
पिछले वर्ष जिले में धान की फसल पर भूरा फुदका कीट का भारी प्रकोप देखा गया था, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल किसानों को पहले से ही सतर्क रहने की सलाह दी गई है। इस कीट के हमले से धान के पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, पौधे धीरे-धीरे झुक जाते हैं और अंत में पूरी तरह सूखकर मर जाते हैं। इसका प्रकोप नीचे की पत्तियों से शुरू होता है और धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है। यदि समय पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह कीट तेजी से फैलकर पूरी फसल को नष्ट कर सकता है।
उपाय:
पाइमेट्रोजिन 50% WG – 300 ग्राम/हेक्टेयर या एसिटामिप्रिड 20% SP – 500 ग्राम/हेक्टेयर कीटनाशनक को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
मूंगफली की पत्तियों पर भूरे धब्बे
मूंगफली की फसल में इन दिनों पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के छोटे-बड़े धब्बे दिखाई दे रहे हैं, जो फसल में रोग के लक्षण हैं और यदि समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो उपज पर बुरा असर डाल सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हेक्जाकोनाजोल 5% SC, टेबूकोनाजोल 25.9% SC, या प्रोपीकोनाजोल 25% SC में से किसी एक फफूंदनाशी दवा का चयन करें। चुनी गई दवा को 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। समय पर यह उपचार करने से फसल को बचाया जा सकता है और उत्पादन में गिरावट से रोका जा सकता है।
सब्जियों की नर्सरी तैयार कर रहे किसानों के लिए जरूरी निर्देश
जो किसान भाई सब्जियों की खेती के लिए नर्सरी तैयार कर रहे हैं, उनके लिए कुछ आवश्यक सावधानियाँ और सुझाव दिए गए हैं। सबसे पहले, नर्सरी की जमीन को कम से कम 6 इंच ऊँचा बनाना चाहिए, ताकि पानी जमा न हो और फसल सड़ने से बच सके। नर्सरी की मिट्टी में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना जरूरी है, जिससे पौधों को शुरू से ही पर्याप्त पोषण मिले। साथ ही, बीजों का उपचार करने के बाद ही उनकी बोवनी (बुआई) करें, जिससे बीजजनित रोगों से बचा जा सके।
नर्सरी में छिड़काव का कार्यक्रम इस प्रकार रखें:
बुआई के 5 से 7 दिन बाद, कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब फफूंदनाशी दवा को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके 3 से 4 दिन बाद, कीट नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% की 3 मिली मात्रा को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। यदि जरूरत हो, तो 15 दिन बाद फिर से यही दोनों दवाएं दोहराई जा सकती हैं। इससे नर्सरी स्वस्थ और कीट-रोग मुक्त बनी रहेगी।
हाल ही में हुई अत्यधिक वर्षा के कारण जिले के कई किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं, या वे समय पर बुवाई नहीं कर सके हैं। ऐसे किसान भाइयों के लिए यह समय रबी सीजन की तैयारी का है। उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अभी से अपनी जमीन की तैयारी शुरू करें और उन्नत किस्मों के बीजों की समय पर व्यवस्था कर लें, ताकि आगामी रबी फसल में अच्छी उपज प्राप्त हो सके।
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