किसानों को वैज्ञानिक पद्धति को भी अपनाना चाहिए: प्रो. रमेश चंद
04 जुलाई 2025,भोपाल: किसानों को वैज्ञानिक पद्धति को भी अपनाना चाहिए: प्रो. रमेश चंद – देश में खेती करने का तरीका तेजी से बदल रहा है. मार्केट में रोज नई-नई कृषि तकनीक आ रही है. ऐसे में किसानों को सिर्फ पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि वैज्ञानिक पद्धति को भी अपनाना चाहिए. साथ ही सरकार को भी किसानों के लिए नई पहल शुरू करने की जरूरत है. पशुपालन, बागवानी और मछली पालन जैसे अन्य क्षेत्रों में बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों पर जोड़ देना चाहिए. इससे किसानों को काफी फायदा होगा.
ये बातें नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कही. उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि को अब पैदावार बढ़ाने की सोच से आगे निकलकर उपभोग के बदलते स्वरूप, पोषण सुरक्षा, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय संतुलन को केंद्र में रखते हुए एक नवीन दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. उन्होंने ‘21वीं सदी में भारतीय कृषि की पुनर्कल्पना’ व्याख्यान में कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की कृषि नीति को पारंपरिक फसल उत्पादन के दायरे से बाहर निकालकर, उसे समावेशी और बहुआयामी स्वरूप दिया जाए. प्रो. रमेश चंद ने इस परिवर्तन के लिए उन्होंने कृषि नीति में व्यापक बदलावों का सुझाव दिया.
मूल्यवर्धन की अपार संभावनाओं को पहचाना जाए
उन्होंने कहा कि खेती केवल उत्पादन तक सीमित न रहे. अब जरूरत है कि खेत में ही मूल्यवर्धन की अपार संभावनाओं को पहचाना जाए, जो अब तक केवल विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में केंद्रित रहा है. प्रो. चंद ने कहा कि भारत में जैविक अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और बायोमेडिसिन, जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक जैसे क्षेत्रों में नए मौके बन रहे हैं. ऐसे में ये आने वाले समय में विकास को आगे बढ़ाएंगे.
हाल के आंकड़ों का हवाला
प्रो. रमेश चंद ने हाल के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2014 से 2023 के बीच जहां अनाज और दालों की औसत बढ़ोतरी सिर्फ 1.6 फीसदी रही, वहीं बागवानी 3.9 फीसदी, पशुधन 5.8 फीसदी और मछली पालन 9.1 फीसदी की दर से तेजी से आगे बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि जिन किसानों ने ऊंची कीमत देने वाली खेती जैसे पशुपालन, मछली पालन और बागवानी को अपनाया है, वे आज बाजार में आगे हैं. वहीं पारंपरिक खेती करने वाले किसान धीरे-धीरे आर्थिक रूप से पीछे होते जा रहे हैं. इसलिए प्रो. चंद ने सुझाव दिया कि किसानों को खेती के इन लाभकारी क्षेत्रों की ओर मोड़ने के लिए ठोस नीतियों की जरूरत है, ताकि वे भी बेहतर आमदनी कमा सकें
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