भाजपा सरकार की नीतियों से किसान त्रासदी में फंसा: सचिन यादव
मध्य प्रदेश में कपास, मक्का, प्याज और केला हर फसल में किसान को नुकसान
16 दिसंबर 2025, भोपाल: भाजपा सरकार की नीतियों से किसान त्रासदी में फंसा: सचिन यादव – पूर्व कृषि मंत्री एवं कांग्रेस विधायक श्रीसचिन यादव ने भोपाल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में किसान आज उत्पादन लागत, बाजार भाव, फसल बीमा और मंडी व्यवस्था हर मोर्चे पर संकट झेल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हालात सरकारी विफलता नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की सोची-समझी किसान विरोधी नीति का परिणाम हैं।
मक्का पर सबसे बड़ा धोखा – श्री सचिन यादव ने कहा कि मक्का किसानों को MSP से बहुत नीचे ₹1000–1200 प्रति क्विंटल में उपज बेचनी पड़ रही है। केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि मक्का खरीदी के लिए राज्य सरकार ने कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। यह मक्का उत्पादक किसानों के साथ खुला धोखा है।
कपास: खरीदी में अव्यवस्था, किसान मजबूर – कपास खरीदी में CCI द्वारा रोज नए नियम लाए जा रहे हैं। स्लॉट बुकिंग की भारी समस्या के चलते करीब 80 प्रतिशत किसानों ने कपास औने-पौने दाम पर बेच दी। खरीदी शुरू होने पर भी नमी का बहाना बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है।
केला: बुरहानपुर के किसानों के साथ नीतिगत अन्याय- उन्होंने कहा कि बुरहानपुर सहित प्रदेश के केला किसानों को न तो उचित बाजार भाव मिल रहा है और न ही फसल खराब होने पर बीमा सुरक्षा। सरकार ने केले को जानबूझकर फसल बीमा योजना से बाहर रखा है, जो हजारों किसानों के साथ अन्याय है।
प्याज: कीमत ₹2 किलो, लागत भी नहीं निकल रही – प्रदेश में प्याज किसानों की हालत बेहद खराब है। दाम ₹2 प्रति किलो तक गिर गए हैं, जिससे ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा। किसान प्याज फेंकने को मजबूर हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कमलनाथ सरकार की मुख्यमंत्री प्याज कृषक प्रोत्साहन योजना से किसानों को उचित दाम मिला था।
फसल बीमा में भारी गड़बड़ी– श्री सचिन यादव ने आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना में किसानों से ₹40,000 करोड़ प्रीमियम लिया गया, जबकि ₹30,000 करोड़ ही लौटाए गए। करीब ₹10,000 करोड़ बीमा कंपनियों का मुनाफा बन गया, कहीं किसानों को शून्य तो कहीं 11–17 रुपये का भुगतान हुआ। पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस किसानों के हक के लिए सड़क, सदन और गांव—हर मंच पर संघर्ष जारी रखेगी।
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