मध्यप्रदेश में दिया तले अंधेरा
20 जनवरी 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में दिया तले अंधेरा – गत दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार ने किसानों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं लेने दिया। दिल्ली में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं है। दिल्ली के किसान खेती के लिए ट्रैक्टर लेते हैं, तो उसका व्यावसायिक में पंजीयन होता है। दिल्ली के किसानों को सबसे उच्च दरों पर बिजली मिलती है।
जहाँ तक मध्यप्रदेश की बात है तो यहाँ भी हालात जुदा नहीं है। विगत 2019 से मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं किया जा रहा है। जबकि उस समय मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ही थे, जो आज केंद्रीय कृषि मंत्री हैं। फिर भी उनके गृह राज्य में उद्यानिकी फसलों का बीमा अभी तक आरम्भ नहीं हुआ है।
इसी तरह किसानों की मांग पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र सहित अन्य सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की सरकारी खरीदी में 15 प्रतिशत तक नमी वाली सोयाबीन किसानों से खरीदने का आदेश गत नवंबर माह में दिया था। जिसका मध्यप्रदेश में ही पालन नहीं हुआ। सवाल यह है कि क्या कृषि मंत्रालय,भारत सरकार का उक्त आदेश मप्र नहीं भेजा गया या राजधानी भोपाल से ही राज्य के सोयाबीन खरीदी केंद्रों तक जानबूझकर नहीं भेजा गया? ताकि 12 प्रतिशत तक नमी वाली सोयाबीन का ही सरकारी खरीदी केंद्रों पर उपार्जन हो सके और इससे अधिक नमी वाली सोयाबीन किसान व्यापारियों को बेचने को मजबूर हो जाए। क्या इसके पीछे कोई साजिश थी? हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने महाराष्ट्र में सोयाबीन खरीदी की समय सीमा 31 जनवरी 2025 तक तथा राजस्थान में 4 फरवरी 2025 तक बढ़ा दी है। तेलंगाना राज्य ने भी अतिरिक्त खरीदी की मांग की थी, तो उसे भी बढ़ाया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी की तारीख को नहीं बढ़ाया गया है। बहरहाल, उक्त तीनों मामले कृषि के संदर्भ में मध्यप्रदेश में ‘दिया तले अंधेराÓ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
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