आधुनिक कृषि में ड्रोन तकनीकी का योगदान
लेखक: डा. जी. एफ. अहमद, सहायक प्राध्यापक, कम्प्यूटर विज्ञान कृषि महाविद्यालय, पवारखेड़ा – नर्मदापुरम (म.प्र.) एवं श्री नेपाल सिंह, प्रोग्राम असिसटेंट (कम्प्यूटर विज्ञान), कृषि विज्ञान केन्द्र, बैतूल (म.प्र.)
25 जुलाई 2025, भोपाल: आधुनिक कृषि में ड्रोन तकनीकी का योगदान – आज के बदलते परिवेश में कृषि का स्वरूप भी बदलता जा रहा है। संचार क्रांति का असर कृषि पर भी देखा जा रहा है। कृषि भी अब आधुनिकीरण से अछूती नहीं रह गई है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कृषि उत्पादन बढ़ाना भी अति महत्वपूर्ण हो गया है। जलवायु परिवर्तन होने से कृषि में भी निरंतर कीट एवं व्यधियों की समस्या बढ़ती जा रही है। साथ ही कृषि कार्य हेतु श्रमिकों का भी वक्त पर उपलब्ध न होना भी एक बड़ा कारण है। इन समस्यायों को ध्यान में रखतें हुऐ कृषि में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण ड्रोन का उपयोग है। ड्रोन एक मानव रहित विमान है। ड्रोन अधिक औपचारिक रूप से मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) या मानव रहित विमान प्रणाली के रूप में जाने जाते हैं। सन् 1935 में पहला आधुनिक ड्रोन विकसित किया गया। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित पहला ड्रोन, एग्रीबॉट है जिसे केवल 35 दिनों में विकसित किया गया था। सबसे बड़ा ड्रोन एजी-272 2जीपीए है जिसकी क्षमता 18-गैलन और चौड़ाई 40 फुट है जो कि 50 एकड़ प्रति घंटा तक कवर कर सकता है। ड्रोन के मुख्य कार्य – जलवायु परिवर्तन की निगरानी, प्राकृतिक आपदाओं के बाद तलाशी अभियान चलाना, फोटोग्राफी करना, फिल्म बनाना और सामान पहुंचाना आदि है। ड्रोन का मुख्य उपयोग सेना द्वारा टोही, निगरानी और लक्षित हमलों के लिए विषेशकर किया जाता है।
ड्रोन को उसकी क्षमता व वजन के हिसाब से वर्गकृत किया गया है जैसे नैनो ड्रोन जिसका वजन 250 ग्राम से कम होता है। मैक्रो ड्रोन जिसका वजन 250 ग्राम से 2 किग्रा तक, स्मॉल ड्रोन जिसका वजन 2 किग्रा से 25 किग्रा तक मिडियम ड्रोन जिसका वजन 25 किग्रा से 150 किग्रा तक हैवी ड्रोन जिसका वजन 150 किग्रा से ज्यादा होता है।
ड्रोन में लगे उच्च-रिजॉल्यूशन वाले कैमरे और सेंसर की मदद से खेत के किसी भी हिस्से की फोटोग्राफी कर या सजीव देखकर फसल की सटीक स्थिति का आंकलन किया जा कर उसका तत्काल समाधान तय किया जा सकता है। ड्रोन का उपयोग खेती में किसानों की मेहनत और समय दोनों की बचत करता है. कृषि ड्रोन का काम खेतों में खाद का छिड़काव करना, फसलों से सम्बंधित दवाओं के छिड़काव करना होता है. यह बड़े से बड़े खेत में इन सभी का छिड़काव को बहुत ही कम समय में कर देता है. जिससे किसान का काम सरल हो जाता है. इन मुद्दों का समाधान करके, किसान अपनी फसल की पैदावार में सुधार कर सकते हैं और अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं। मौसम की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, पैटर्न में किसी भी बदलाव के लिए तैयार करना बेहद मुश्किल हो जाता है। आगामी मौसम की स्थिति का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाता है। बेहतर भविष्यवाणियां करने के लिए स्टॉर्म ड्रोन का पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। और इस जानकारी का उपयोग किसान बेहतर तैयारी के लिए कर सकते हैं। तूफान या बारिश की कमी की अग्रिम सूचना का उपयोग उस फसल की योजना बनाने के लिए किया जाता है जो मौसम के लिए सबसे उपयुक्त होगी, और बाद की अवस्था में रोपित फसलों की देखभाल कैसे करें। ड्रोन का उपयोग विशाल पशुधन की निगरानी और प्रबंधन के लिए भी किया जाता है क्योंकि उनके सेंसर में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले इन्फ्रारेड कैमरे होते हैं, जो एक बीमार जानवर का पता लगा सकते हैं और उसके अनुसार तेजी से उपचार कर सकते हैं।
भारत सरकार किसानों को ड्रोन का उपयोग करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है, ताकि बेहतर उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो। कृषि क्षेत्र में एग्रीकल्चर ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सरकार द्वारा लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार कृषि ड्रोन खरीदने पर किसानों को सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसके अलावा, सरकार किसानों को कृषि विश्व विद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र एवं कई प्रमाणित ट्रेनिंग सेंटर्स के जरिये ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग भी दे रही है। ताकि किसान ट्रेनिंग लेकर ड्रोन पायलट बनकर बिना किसी जोखिम के सरलता से ड्रोन के प्रयोग से खेती कर बेहतर पैदावार प्राप्त कर पाएं।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: