सीआईएई कृषि यंत्र निर्माण का मक्का-मदीना: डॉ. झा
संस्थान का 50वां स्थापना दिवस स्वर्ण जयंती समारोह
17 फ़रवरी 2025, भोपाल: सीआईएई कृषि यंत्र निर्माण का मक्का-मदीना: डॉ. झा – देश में कृषि जोत छोटी हो रही है तथा मजदूरों की समस्या बढ़ती जा रही है इसे देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि यंत्रीकरण शत-प्रतिशत अपनाना आवश्यक हो गया है। केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (सीआईएई) इस दिशा में नित नई तकनीक अपनाकर आधुनिक कृषि यंत्र विकसित कर रहा है इसलिए इस संस्थान को यंत्र निर्माण का मक्का-मदीना कहना गलत नहीं होगा। यह विचार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) डॉ. एस.एन. झा ने सीआईएई भोपाल के 50वें स्थापना दिवस पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में व्यक्त किए।
डॉ. झा ने कहा कि 50 वर्षों में बहुत कुछ बदला है परन्तु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। मशीनीकरण से ही कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं जिसकी सर्वाधिक जरूरत है।
इसके पूर्व सीआईएई के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता ने 50 वर्षों के सफर का सार बताते हुए संस्थान में किए जा रहे नए यंत्र निर्माण की जानकारी दी।
आईसीएआर के पूर्व उप महानिदेशक डॉ. नवाब अली ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण की शुरुआत अमेरिका में 1907 में हुई जबकि भारत में प्रयागराज स्थित कृषि अभियांत्रिकी संस्थान में 1942 से कृषि इंजीनियरिंग की डिग्री देना प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि यंत्रीकरण से ही पैदावार बढ़ाई जा सकती है। सीआईएई का कृषि यंत्रीकरण में अहम् योगदान है।
आईसीएइआर के सहायक निदेशक डॉ. के.पी. सिंह ने कहा कि सीआईएई जैसे संस्थान की उपयोगिता तब बढ़ जाती है जब कोई किसान नई तकनीक से निर्मित यंत्रों का उपयोग कर उसकी सराहना करता है।
स्थापना दिवस समारोह को सीआईएई के पूर्व निदेशक डॉ. आर.पी. काचरु, केन्द्रीय फार्म मशीनरी संस्थान बुदनी के निदेशक डॉ. पी.पी. राव, कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय भोपाल के संचालक श्री पवन सिंह श्याम, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एस.पी. दत्ता, उच्च सुरक्षा पशुरोग प्रयोगशाला भोपाल के निदेशक डॉ. ए.के. सन्याल एवं कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र मुम्बई के निदेशक डॉ. एस.के. शुक्ला ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, प्रगतिशील कृषकों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है जिसमें कृषि आदान सामग्री सहित कृषि यंत्रों का जीवंत प्रदर्शन किया गया है।
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