राज्य कृषि समाचार (State News)

खरगोन एवं बड़वानी जिले में बायोचार बनाने का अभियान शुरू

27 मई 2024, ( दिलीप दसौंधी,मंडलेश्वर ): खरगोन एवं बड़वानी जिले में बायोचार बनाने का अभियान शुरू – सामाजिक संस्था निरंजन लाल अग्रवाल फाउंडेशन खरगोन एवं बीटल रीजन सॉल्यूशन, दिल्ली द्वारा  मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए खरगोन एवं  बड़वानी जिलों के लगभग 247 गांवों में किसानों के साथ मिलकर बायोचार बनाने का अभियान शुरू कर दिया गया है।  

बीटल रीजन सॉल्यूशन की टीम से प्रशिक्षक श्री पंकज देशमुख एवं श्री सुनील  (संभाजीनगर) द्वारा निरंजन लाल अग्रवाल फाउंडेशन के स्टाफ एवं किसानों को बायोचार बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया गया।  इसके बाद सबसे पहले  भगवानपुरा तहसील  के ग्राम थरडपुरा, कसरावद तहसील के ग्राम रामपुरा और सेगांव तहसील के ग्राम श्रीखंडी से बायोचार  आरम्भ किया गया। बता दें कि बायोचार से मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ता है, जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है।

Advertisement
Advertisement

 के.के. फाइबर्स, खरगोन के डायरेक्टर श्री आशुतोष अग्रवाल ने बताया कि बायोचार बनाने के लिए एक कोंड (शंकु) रूपी गड्ढा जिसकी चौड़ाई दो मीटर के व्यास और 1.5 मीटर  गहराई होती है, एक बायोचार  बनाने के लिए 40 से 50 क्विंटल कपास काठी की आवश्यकता होती है, जिससे  लगभग 10 क्विंटल बायोचार  प्राप्त होता है I बीटल रीजन सॉल्यूशन परियोजना संचालक श्री हेमन्त राजपूत  ने बताया  कि  बायोचार से मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ता है, जिसके कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है साथ ही भूमि में जल धारण क्षमता में भी सुधार होता है। बायोचार के उपयोग से किसानों को प्रति एकड़ रासायनिक खाद में जो खर्च करना पड़ता है,उसमें भी बचत होती है। यदि लगातार 2 से 3 वर्ष किसान बायोचार  का उपयोग अपने खेत में करे, तो मिट्टी का जैविक कार्बन 1 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यदि जैविक कार्बन बढ़  जाता है तो किसानों को अन्य खाद की आवश्यकता  नहीं होगी और  किसानों को कम लागत में अच्छी उपज मिलेगी I प्रशिक्षण के दौरान  परियोजना अधिकारी श्री अर्जुन पटेल, श्री शांतिलाल राठोड़, श्री रविन्द्र यादव और श्री अनिल यादव का सराहनीय योगदान रहा। टीम के द्वारा बायोचार अपनाने के लिए किसानों  के प्रति आभार प्रकट किया गया।

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

Advertisements
Advertisement5
Advertisement