अवासे को अब मिल रहे जैविक खेती के फायदे
16 अप्रैल 2025, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): अवासे को अब मिल रहे जैविक खेती के फायदे – जैविक खेती को यदि निरंतर किया जाए तो फिर उसके लाभ मिलने लगते हैं। 5 साल पूर्व ग्राम मुरमिया तहसील झिरन्या जिला खरगोन के लघु कृषक श्री नहादी पिता काशीराम अवासे ने अपनी 4 एकड़ ज़मीन में परम्परागत फसलों में खरीफ में सोयाबीन और मक्का तथा रबी में गेहूं और चना की जैविक खेती शुरू की थी । अमरुद की बिक्री के साथ अब उन्हें जैविक खेती के फायदे मिलने लगे हैं।

5 वीं तक शिक्षित श्री अवासे ने कृषक जगत को बताया कि विगत 5 वर्षों से जैविक खेती कर रहे हैं। परम्परागत खेती में खरीफ में सोयाबीन और मक्का तथा रबी में गेहूं और चना की फसल लेते हैं। कुछ वर्ष पूर्व खेत में अमरूद के 425 , संतरे के 500 और घर के पास आम के 25 -30 पौधे लगाए थे। इनमें से अमरुद का उत्पादन शुरू हो गया। करीब 5 लाख के अमरुद खंडवा और इंदौर मंडी में बेचे। डेढ़ साल पहले 2 लाख के अमरुद बेचे थे। जबकि संतरा अगले दो साल में उत्पादन देना शुरू करेगा। आम की दशहरी ,कलमी और देसी किस्मों का फलोत्पादन अभी कम होने से इसका उपयोग घर -परिवार में ही किया जा रहा है। अब अमरूद की कटिंग की तैयारी की जा रही है। जैविक खेती में इनकी पत्नी भी मदद करती हैं।
श्री अवासे ने बताया कि इस साल जहां गेहूं का उत्पादन अच्छा मिला वहीं डॉलर चने में कीट लगने और जड़ें सूखने से उत्पादन प्रभावित हुआ। श्री अवासे , अन्य किसानों से 10 एकड़ ज़मीन भाड़े पर या गिरवी रखकर उस पर भी खेती करते हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है। आत्मा परियोजना एवं उद्यानिकी अधिकारियों का मार्गदर्शन मिलता रहता है। जैविक खेती के संदर्भ में इन्हें वर्ष 2023 स्वतंत्रता दिवस समारोह में जिला प्रशासन खरगोन द्वारा प्रशस्ति पत्र भी दिया गया ,वहीं 2023 में ही कृषि तथा उद्यानिकी विभाग द्वारा सहभागिता सह प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। जैविक खेती में श्री अवासे के प्रयासों ने यह साबित कर दिया है कि इस खेती में धीरज रखा जाए तो धरती गुणवत्तायुक्त फसलें उत्पादित करती हैं।
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