नाबार्ड के सहयोग से कृषि और ग्रामीण विकास के कार्य बने मील का पत्थर : श्री बघेल
नाबार्ड के सहयोग से कृषि और ग्रामीण विकास के कार्य बने मील का पत्थर : श्री बघेल
20 जुलाई 2020, रायपुर। नाबार्ड के सहयोग से कृषि और ग्रामीण विकास के कार्य बने मील का पत्थर : श्री बघेल – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष श्री जी. आर. चिंताला के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ में कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों, अधोसंरचनाओं के विकास के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से छत्तीसगढ़ में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में विकास के अनेक कार्य हुए है, जो मील का पत्थर साबित हुए हैं।
नाबार्ड के माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत से काम हुए हैं, अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। यह आयोजन नाबार्ड के 12 जुलाई को स्थापना दिवस के अवसर पर किया गया। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड के अध्यक्ष श्री चिंताला सहित अधिकारियों-कर्मचारियों को स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे उपस्थित थे। नाबार्ड के अध्यक्ष श्री चिंताला और उप प्रबंध निदेशक श्री पी.वी.एस. सूर्य कुमार मुम्बई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।
मुख्यमंत्री ने बस्तर अंचल की बहुउद्देशीय बोधघाट सिंचाई परियोजना और बस्तर अंचल के युवाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए नाबार्ड से सहयोग मांगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधघाट सिंचाई परियोजना बस्तर के लिए जीवनदायिनी साबित होगी, लगभग 22 हजार करोड़ रूपए लागत की इस परियोजना के माध्यम से पूरे बस्तर अंचल में सिंचाई की सुविधा के साथ पेयजल और निस्तार के लिए पानी उपलब्ध होगा।
श्री बघेल ने सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना की विस्तार से जानकारी देते हुए इस योजना के लिए नाबार्ड से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि गांवों में बनाए जा रहे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपजों और वनौषधियों के प्रसंस्करण के लिए छोटे-छोटे प्लांट लगाने की राज्य सरकार ने योजना तैयार की है।
श्री बघेल ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कृषि और उद्यानिकी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज के निर्माण, फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए भी सहयोग मांगा। श्री बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ से पड़ोसी देशों को टमाटर की सप्लाई की जाती है। दुर्ग, रायपुर और जशपुर में फलों तथा उद्यानिकी फसलों का अच्छा उत्पादन होता है। (शेष पृष्ठ 3 पर)