PM-Kisan योजना की किस्त क्यों अटक जाती है? मंत्री ने बताई बड़ी गड़बड़ियां, जानें कैसे हो रहा सुधार
04 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: PM-Kisan योजना की किस्त क्यों अटक जाती है? मंत्री ने बताई बड़ी गड़बड़ियां, जानें कैसे हो रहा सुधार – केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी PM-Kisan सम्मान निधि योजना से जुड़ी अहम जानकारियाँ संसद में सामने आई हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने सदन में बताया कि किस वजह से किसानों की किस्तें रुक जाती हैं और सरकार ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए कौन–कौन से बड़े सुधार किए हैं।
अब तक किसानों को मिला रिकॉर्ड भुगतान
सरकार ने फरवरी 2019 में योजना शुरू होने के बाद से अब तक 21 किस्तों में कुल 4.09 लाख करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर किए हैं। यह देश के किसी भी DBT कार्यक्रम के इतिहास में सबसे बड़ा सीधा भुगतान है। डिजिटल रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन की वजह से पूरी प्रक्रिया पहले से ज्यादा पारदर्शी हुई है।
क्यों अटक जाती थी PM-Kisan की किस्त?
योजना के शुरुआती सालों में भुगतान बैंक खाता-आधारित प्रणाली से होता था। राज्य सरकारों द्वारा पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा में कई गलतियाँ थीं, जिसके कारण लाखों ट्रांजेक्शन फेल हो जाते थे। मंत्री के अनुसार, मुख्य कारण ये रहे—
ट्रांजेक्शन फेल होने के प्रमुख कारण
– लाभार्थी के नाम और बैंक अकाउंट धारक का नाम मेल न खाना
– गलत या अधूरी बैंक खाता संख्या
– गलत IFSC कोड दर्ज होना
– एक ही बैंक खाते से जुड़े कई लाभार्थी
– संस्थागत/गलत बैंक खाते अपलोड होना
इन गलतियों की वजह से कई किसानों की किस्तें बार-बार रुक जाती थीं।
आधार पेमेंट ब्रिज ने बदला पूरा सिस्टम
सरकार ने 13वीं किस्त से बड़ा बदलाव करते हुए आधार पेमेंट ब्रिज (APB) मोड अनिवार्य कर दिया।
अब भुगतान बैंक अकाउंट नंबर पर निर्भर नहीं, बल्कि आधार–मैपर के जरिए होता है।
APB लागू होने के बाद फायदे
– बैंक अकाउंट संबंधी गलतियों में भारी कमी
– नाम, IFSC और डुप्लीकेट अकाउंट जैसी त्रुटियाँ खत्म
– PFMS, NPCI और बैंकों द्वारा बड़े स्तर पर डेटा सुधार अभियान
– नतीजा यह कि 21वीं किस्त में ट्रांजेक्शन सफलता दर 99.86% दर्ज की गई है।
अब भी किन कारणों से रुक जाता है भुगतान?
हालांकि सफलता दर बहुत बढ़ गई है, लेकिन कुछ कारणों से अब भी ट्रांजेक्शन फेल हो सकते हैं। इसके प्रमुख कारण है- आधार नंबर NPCI मैपर से हट जाना, आधार का बैंक खाते से लिंक न होना, बैंक खाता बंद हो जाना। ऐसे मामलों में लाभार्थी को तुरंत सूचना भेजी जाती है, और सुधार होते ही किस्त दोबारा भेज दी जाती है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा रही समस्या?
मंत्री के अनुसार, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गलत बैंक विवरण, अधूरी जानकारी और डुप्लीकेट अकाउंट जैसे मामलों की संख्या काफी अधिक पाई गई। यही कारण रहा कि इन राज्यों में ट्रांजेक्शन फेल होने का प्रतिशत अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा दर्ज हुआ। स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने संबंधित राज्यों को लाभार्थियों के डेटा को तेजी से ठीक करने और आवश्यक सुधारात्मक कदम तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसानों की किस्त बिना रुकावट समय पर पहुंच सके।
किसानों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर
PM-Kisan का लक्ष्य खेती की लागत को सीधे कम करना नहीं, बल्कि किसानों को तात्कालिक आर्थिक सहायता प्रदान करना है। 6,000 रुपये सालाना की यह राशि किसानों की- खाद, बीज, कीटनाशक, और छोटी-मोटी कृषि जरूरतें पूरी करने में काफी सहायक रही है। साथ ही, डिजिटल भुगतान प्रणाली ने किसानों की वित्तीय भागीदारी को भी बढ़ाया है।
बिचौलियों पर लगा पूरा विराम
PM-Kisan देश की पहली ऐसी राष्ट्रीय स्तर की योजना बन गई है, जहां भुगतान पूरी तरह डिजिटल और बिचौलिया-रहित है। न कोई आवेदन शुल्क, न दलालों का हस्तक्षेप और न कागजी प्रक्रिया—पैसा सीधे किसान के आधार-लिंक्ड खाते में जाता है। सरकार के अनुसार, APB आधारित भुगतान प्रणाली ने योजना को पारदर्शी, तेज और लगभग त्रुटिरहित बना दिया है।
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