गन्ना खेती में कौन आगे? राज्यवार उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उपज का विश्लेषण
19 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: गन्ना खेती में कौन आगे? राज्यवार उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उपज का विश्लेषण – देश में गन्ना खेती भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण आधार बनी हुई है। वर्ष 2024–25 के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि गन्ना उत्पादन न केवल बड़े राज्यों तक सीमित है, बल्कि अब उत्पादकता के स्तर पर भी राज्यों के बीच स्पष्ट अंतर दिखाई देने लगा है। कुल मिलाकर, भारत में इस वर्ष लगभग 45.46 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन हुआ, जो करीब 54.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती के जरिए हासिल किया गया।
उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में लगातार अग्रणी बना हुआ है। राज्य ने वर्ष 2024–25 में लगभग 22.08 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन किया, जो देश के कुल उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह उत्पादन करीब 27.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल से आया। भले ही उत्पादकता के मामले में कुछ अन्य राज्य आगे हों, लेकिन क्षेत्रफल और कुल उत्पादन के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश की भूमिका निर्णायक बनी हुई है।
महाराष्ट्र गन्ना उत्पादन में दूसरे स्थान पर रहा। राज्य ने करीब 10.99 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन किया, जबकि इसका क्षेत्रफल लगभग 11.67 लाख हेक्टेयर रहा। यहाँ प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता 94 टन से अधिक दर्ज की गई, जो दर्शाती है कि आधुनिक सिंचाई, बेहतर किस्मों और उन्नत कृषि पद्धतियों ने उत्पादन को मजबूती दी है।
उत्पादकता के मामले में तमिलनाडु विशेष रूप से उभरकर सामने आया। राज्य में प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन 100 टन से अधिक रहा, जो देश में सबसे अधिक में से एक है। कर्नाटक ने भी लगभग 4.81 करोड़ टन उत्पादन के साथ उच्च उत्पादकता बनाए रखी। इन राज्यों में कम क्षेत्रफल के बावजूद बेहतर उपज यह संकेत देती है कि भविष्य में गन्ना उत्पादन का रास्ता क्षेत्र विस्तार से अधिक उत्पादकता सुधार पर निर्भर करेगा।
वहीं दूसरी ओर, पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों में गन्ने की उत्पादकता अपेक्षाकृत कम बनी हुई है। भौगोलिक परिस्थितियाँ, सीमित सिंचाई सुविधाएँ और यंत्रीकरण की कमी इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं। इसके बावजूद, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में हाल के वर्षों में क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी देखी गई है, जो संतुलित क्षेत्रीय विकास की ओर इशारा करती है।
राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो वर्ष 2024–25 में भारत की औसत गन्ना उत्पादकता लगभग 83 टन प्रति हेक्टेयर रही। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में गन्ना उत्पादन की वृद्धि मुख्य रूप से बेहतर किस्मों, जल दक्ष तकनीकों, समय पर मूल्य नीति और एथेनॉल उत्पादन जैसे वैकल्पिक उपयोगों के कारण होगी, न कि केवल क्षेत्रफल बढ़ाने से।
कुल मिलाकर, गन्ना क्षेत्र में उभरता यह रुझान स्पष्ट करता है कि भारत की चीनी और एथेनॉल अर्थव्यवस्था का भविष्य उत्पादकता आधारित विकास और किसान हितैषी नीतियों पर टिका रहेगा।
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