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राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

क्या है दलहन आत्मनिर्भरता मिशन? किसानों की आमदनी कैसे होगी दोगुनी, जानिए सरकार की पूरी रणनीति

03 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: क्या है दलहन आत्मनिर्भरता मिशन? किसानों की आमदनी कैसे होगी दोगुनी, जानिए सरकार की पूरी रणनीति – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक ऐतिहासिक पहल ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’को मंज़ूरी दी है। यह मिशन देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। मिशन का उद्देश्य न सिर्फ दालों का उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि किसानों की आमदनी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी करना है।

 6 साल का रोडमैप, 11,440 करोड़ रुपये की योजना

यह मिशन वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक, यानी छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए 11,440 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030-31 तक भारत में दलहन उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंचे और आयात पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो।

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किसानों को क्या फायदा होगा?

इस योजना में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई स्तरों पर रणनीति बनाई गई है। आइए समझते हैं कि कैसे यह मिशन किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम करेगा:

1. मुफ्त बीज किट का वितरण

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सरकार किसानों को 88 लाख बीज किट मुफ्त में वितरित करेगी, ताकि वे बेहतर और उन्नत किस्मों की दालें उगा सकें। यह किस्में उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी होंगी।

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2. बीज उत्पादन और वितरण की सुदृढ़ व्यवस्था

– 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीजों का वितरण होगा।
– बीज उत्पादन की निगरानी ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा की जाएगी।
– राज्य स्तर पर पांच वर्षीय बीज उत्पादन योजना बनाई जाएगी ताकि बीजों की सतत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

3. MSP पर 100% खरीद की गारंटी

– दलहन किसानों को अब बाजार की अनिश्चितता से राहत मिलेगी।
– अरहर, उड़द और मसूर की फसलों की 100% सरकारी खरीद की जाएगी, वो भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर।
– खरीद NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों द्वारा की जाएगी, बशर्ते किसान इनसे पंजीकृत हों।

4. फसल विस्तार और विविधीकरण को बढ़ावा

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– मिशन के तहत 35 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को दलहन खेती के लिए जोड़ा जाएगा।
– चावल की परती जमीन और ऐसी भूमि जो फसल के बाद खाली रह जाती है, उसे दलहन उत्पादन में लाया जाएगा।

5. प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग

– किसानों और बीज उत्पादकों के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
– ICAR, KVK और राज्य कृषि विभाग मिलकर प्रदर्शन आधारित प्रशिक्षण देंगे।
– मृदा स्वास्थ्य, उर्वरक संतुलन और पौध संरक्षण पर विशेष ज़ोर होगा।

6. प्रोसेसिंग यूनिट्स और सब्सिडी

– मिशन के तहत 1000 प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है।
– किसान अगर प्रसंस्करण या पैकेजिंग यूनिट लगाना चाहें तो 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी।
– इससे किसानों को वैल्यू एडिशन का लाभ मिलेगा और उनकी बाजार में आय बढ़ेगी।

7. क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण

हर इलाके की भौगोलिक और कृषि जरूरतों के अनुसार क्लस्टर-आधारित योजना बनाई जाएगी, जिससे संसाधनों का सही उपयोग और उत्पादन में स्थायित्व सुनिश्चित हो।

8. वैश्विक कीमतों की निगरानी और मूल्य स्थिरता

सरकार दलहन की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर नजर रखेगी, ताकि घरेलू बाजार में दाम स्थिर रहें और किसानों को नुकसान न हो।

सरकार का उद्देश्य

इस मिशन से 2030-31 तक दलहन क्षेत्रफल को 310 लाख हेक्टेयर तक विस्तृत करने, उत्पादन को 350 लाख टन तक बढ़ाने और उपज को 1130 किलोग्राम/हेक्टेयर तक बढ़ाने की उम्मीद है। उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ, यह मिशन महत्वपूर्ण रोजगार सृजन भी करेगा।

इस मिशन का उद्देश्य दलहन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करना, आयात पर निर्भरता कम करना, किसानों की आय को बढ़ावा देना तथा मूल्यवान विदेशी मुद्रा का संरक्षण करना है। इस मिशन से जलवायु के प्रति सहनशील प्रथाओं, मृदा स्वास्थ्य में सुधार और फसल परती क्षेत्रों के उत्पादक उपयोग के रूप में महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होंगे।

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