राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

यूएन विश्व मृदा दिवस 2025: स्वस्थ शहरों की नींव- स्वस्थ मिट्टी

डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, ICRISAT

05 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: यूएन विश्व मृदा दिवस 2025: स्वस्थ शहरों की नींव- स्वस्थ मिट्टी – विश्व मृदा दिवस हमें हर वर्ष यह संदेश देता है कि मिट्टी सिर्फ खेतों की नहीं, बल्कि जीवन की भी बुनियाद है। इस वर्ष की थीम “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी” इसी बात पर जोर देती है कि ग्रामीण माटी की गुणवत्ता ही शहरों के भोजन, पेयजल और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है।
शहर चाहे जितने आधुनिक हों, उनकी खाद्य सुरक्षा का आधार अंततः वही मिट्टी है जो छोटे किसानों और हमारे खाद्य तंत्र को पोषित करती है।

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शुष्क क्षेत्रों की मिट्टी पर बढ़ता दबाव

एशिया और अफ्रीका के शुष्क अंचलों में मिट्टी का स्वास्थ्य किसानों के लिए पहली सुरक्षा ढाल है। मिट्टी स्वस्थ रहे तभी फसल टिकेगी, और किसान परिवार भी।
लेकिन बदलते मौसम, बेतरतीब भूमि उपयोग, पोषक तत्वों की कमी और मिट्टी की सघनता जैसी समस्याएँ मिट्टी को तेजी से कमजोर कर रही हैं।
CGIAR प्रणाली का हिस्सा होने के नाते ICRISAT का उद्देश्य विज्ञान और तकनीक के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान देना है, ताकि मिट्टी की सेहत बहाल हो और किसान मजबूत बनें।

तेलंगाना की मिसाल: चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला

ICRISAT का मानना है कि मिट्टी की जानकारी तभी उपयोगी है जब वह किसान तक आसानी से पहुँचे।

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तेलंगाना में इसी सोच के साथ राज्य की पहली मोबाइल सॉइल हेल्थ टेस्टिंग बस बनाई गई। लॉरस चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से शुरू हुई यह पहल गाँव-गाँव जाकर किसानों की मिट्टी जाँच रही है।

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अब तक इस बस ने 22 गाँवों में जाकर 2,400 से अधिक मिट्टी नमूनों की जांच की और किसानों को व्यक्तिगत मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किए हैं।
किसान अब अपने खेत की जरूरत के अनुसार उर्वरक का चुनाव कर पा रहे हैं, जिससे लागत कम हो रही है और उत्पादन क्षमता बढ़ रही है।

यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी सरल और प्रभावी समाधान बन सकता है।

इसके साथ ही 1,500 से अधिक विद्यार्थियों ने इस मोबाइल लैब के माध्यम से मिट्टी विज्ञान को practically समझा है—जो भविष्य में कृषि और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अधिक संवेदनशील नागरिक बनेंगे।

अफ्रीका में मिट्टी संरक्षण के नए कदम

अफ्रीका में भी ICRISAT के साझेदारी-आधारित कार्य से मिट्टी की सेहत सुधारने की पहल को नया बल मिला है।

  • नाइजर में सुधारित ज्वार-बाजरा किस्मों, माइक्रोडोज़ उर्वरक तकनीक और प्राकृतिक पुनर्जनन से किसानों की उपज दोगुनी तक पहुँची है।
  • केन्या के जलवायु-स्मार्ट गाँवों में ज़ै पिट, कम्पोस्टिंग और फसल अवशेष प्रबंधन ने बंजर भूमि को फिर उपजाऊ बनाया है।
  • मलावी और तंजानिया में जैविक खाद के साथ सटीक उर्वरक उपयोग ने पोषक कमी दूर करने में मदद की और लागत भी नियंत्रण में रखी।

ये उदाहरण बताते हैं कि अफ्रीका और भारत दोनों ही शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी की क्षमता को फिर से उभारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं।

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मिट्टी सघनता: एक छुपा हुआ खतरा

मिट्टी की सघनता (Compaction) एक ऐसी समस्या है जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
इसी मुद्दे पर ICRISAT और फ्रांस के IRD द्वारा आयोजित CompacSol कार्यशाला में आठ संस्थानों के वैज्ञानिक एकत्र हुए।

सघन मिट्टी में पानी नहीं उतरता, जड़ें नहीं बढ़ पातीं और फसल कमजोर होती है।
यह समस्या आजकल शहरों के आसपास भी बढ़ रही है—भारी निर्माण, वाहन दबाव और अव्यवस्थित विकास के कारण मिट्टी की ऊपरी परतें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इससे पेड़ों की वृद्धि, भूजल पुनर्भरण और तापमान संतुलन प्रभावित होता है।

CompacSol कार्यक्रम के माध्यम से ICRISAT सघनता मापने के मानक विकसित कर रहा है, डेटा साझा प्रणाली बना रहा है और ग्लोबल सॉइल लैब नेटवर्क के साथ मिलकर वैज्ञानिक क्षमता बढ़ा रहा है।
बेहतर आंकड़े ही बेहतर निर्णयों की कुंजी हैं।

नवाचार और प्रशिक्षण के माध्यम से भविष्य निर्माण

मिट्टी संरक्षण तभी संभव है जब लोग और संस्थान उसके उपयोग और प्रबंधन को समझें।
ICRISAT की ड्राईलैंड अकादमी द्वारा संचालित ITEC प्रशिक्षण विकासशील देशों के तकनीकी विशेषज्ञों को टिकाऊ कृषि से जुड़े कौशल देता है।

नया स्थापित ICRISAT Centre of Excellence for South-South Cooperation (ISSCA) नीति-निर्माताओं को प्रमाण-आधारित समाधान उपलब्ध करा रहा है, जिससे वे अपने देशों में मृदा प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियाँ लागू कर सकें।

युवाओं और किसानों की बेहतर समझ के लिए ICRISAT ने MRIDA नामक शिक्षण गेम ऐप विकसित किया है, जिसमें खिलाड़ी मिट्टी पर अलग-अलग कृषि फैसलों का प्रभाव सरल तरीके से समझ सकते हैं।


मिट्टी बचेगी तो भविष्य बचेगा

ICRISAT का पूरा कार्य एक ही संदेश देता है- स्वस्थ मिट्टी से ही मजबूत गाँव बनते हैं, और मजबूत गाँव ही स्वस्थ शहरों की नींव रखते हैं।

विश्व मृदा दिवस 2025 के अवसर पर ICRISAT सरकारों, विकास साझेदारों और किसानों से अपील करता है कि वे मिट्टी संरक्षण को प्राथमिकता दें और इसके लिए संयुक्त प्रयास करें। CGIAR का हिस्सा होने के नाते ICRISAT शुष्क क्षेत्रों की मिट्टी को पुनर्जीवित करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है।

मिट्टी की रक्षा का अर्थ है जीवन की रक्षा।

डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, ICRISAT

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