राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पहली बैठक संपन्न; बीज आपूर्ति की जिम्मेदारी बिहार की संस्थाओं को, ₹476 करोड़ की केंद्रीय योजना लागू
15 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पहली बैठक संपन्न; बीज आपूर्ति की जिम्मेदारी बिहार की संस्थाओं को, ₹476 करोड़ की केंद्रीय योजना लागू – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पहली बैठक पिछले सप्ताह कृषि भवन, नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने की। इस बैठक के साथ ही ₹476.03 करोड़ की केंद्रीय क्षेत्र योजनाके क्रियान्वयन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई।
बैठक में राज्यों और शोध संस्थानों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक कार्य योजनाओं की समीक्षा की गई और मखाना क्षेत्र के समग्र विकास से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के लिए बजट आवंटन को मंजूरी दी गई।
बीज आपूर्ति की स्पष्ट व्यवस्था
बोर्ड ने यह निर्णय लिया कि सभी राज्यों की मखाना बीज की आवश्यकता को एकत्रित (कंसोलिडेट) किया जाएगा।
वर्तमान और अगले वर्ष के लिए गुणवत्तापूर्ण मखाना बीज की आपूर्ति निम्नलिखित संस्थानों द्वारा की जाएगी:
- राज्य कृषि विश्वविद्यालय (SAU), सबौर, बिहार
- केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), समस्तीपुर, बिहार
बोर्ड ने स्पष्ट किया कि मखाना उत्पादन के विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से विकसित बीजों की उपलब्धता सबसे महत्वपूर्ण आधार है।
प्रशिक्षण और तकनीकी मजबूती पर जोर
बैठक में यह भी तय किया गया कि SAU सबौर, CAU समस्तीपुर और एनआरसी मखाना, दरभंगा मिलकर विभिन्न राज्यों के अधिकारियों और तकनीकी कर्मियों के लिए ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
इन प्रशिक्षणों में मखाना की आधुनिक खेती, बेहतर कटाई, कटाई उपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और पूरी मूल्य श्रृंखला से जुड़ी नवीन तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर, ब्रांडिंग और निर्यात पर फोकस
बोर्ड ने आवश्यकता आधारित शोध, प्रसंस्करण तकनीकों के विकास और ग्रेडिंग, सुखाने, पॉपिंग और पैकेजिंग के लिए अधोसंरचना निर्माण की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ ही मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, बाजार संपर्क और निर्यात की तैयारी को मखाना क्षेत्र के आधुनिकीकरण की प्रमुख प्राथमिकताएं बताया गया।
वार्षिक कार्य योजनाओं की स्वीकृति के बाद अब राज्यों में किसानों के प्रशिक्षण, बेहतर खेती पद्धतियों के प्रदर्शन और पारंपरिक के साथ-साथ गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में मखाना खेती को बढ़ावा देने का कार्य तेज किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी और इसे 15 सितंबर 2025 को बिहार में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया।
इसके अंतर्गत 2025-26 से 2030-31 की अवधि के लिए ₹476.03 करोड़ की केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य शोध, बीज उत्पादन, किसान प्रशिक्षण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को मजबूत करना है।
यह पहली बैठक देश में मखाना क्षेत्र के समन्वित, वैज्ञानिक और बाजारोन्मुखी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
FAQ
1. राष्ट्रीय मखाना बोर्ड क्या करता है?
यह बोर्ड मखाना किसानों की आमदनी बढ़ाने और मखाना को एक आधुनिक, संगठित और लाभकारी फसल बनाने के लिए बनाया गया है।
2. पहली बैठक में सबसे बड़ा फैसला क्या रहा?
सबसे अहम फैसला यह रहा कि सभी राज्यों के लिए मखाना बीज की आपूर्ति एक व्यवस्थित तरीके से की जाएगी और इसके लिए बिहार की विशेषज्ञ संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई है।
3. किसानों को बीज कहां से मिलेगा?
गुणवत्तापूर्ण मखाना बीज SAU सबौर और CAU समस्तीपुर (बिहार) के माध्यम से राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा।
4. बिहार की संस्थाओं को ही बीज आपूर्ति क्यों दी गई?
क्योंकि बिहार मखाना उत्पादन का प्रमुख केंद्र है और यहां की संस्थाओं को मखाना शोध और बीज विकास का लंबा अनुभव है।
5. किसानों और अधिकारियों को प्रशिक्षण कौन देगा?
SAU सबौर, CAU समस्तीपुर और NRC मखाना दरभंगा मिलकर खेती से लेकर प्रसंस्करण तक का प्रशिक्षण देंगे।
6. इस योजना में कितना पैसा खर्च होगा?
सरकार इस योजना पर ₹476.03 करोड़ खर्च करेगी।
7. किसानों को इसका सीधा फायदा क्या होगा?
बेहतर बीज, आधुनिक खेती की जानकारी, कम नुकसान, अच्छी प्रोसेसिंग सुविधा और बेहतर बाजार भाव।
8. क्या मखाना खेती सिर्फ बिहार तक सीमित रहेगी?
नहीं, अब इसे अन्य राज्यों और नए क्षेत्रों में भी बढ़ावा दिया जाएगा।
9. प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर इतना जोर क्यों है?
क्योंकि इससे मखाना की गुणवत्ता सुधरती है और किसानों को ज्यादा दाम मिलते हैं।
10. यह बैठक किसानों के लिए क्यों अहम है?
क्योंकि इससे पहली बार मखाना खेती को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित और मजबूत बनाने की ठोस शुरुआत हुई है।
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