डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी की अवधि बढ़ाई गई, कीमतें रहेंगी किफायती
01 जनवरी 2025, नई दिल्ली: डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी की अवधि बढ़ाई गई, कीमतें रहेंगी किफायती – केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद पर विशेष पैकेज को बढ़ाने का फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस फैसले के तहत डीएपी पर प्रति टन ₹3,500 की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। यह पहले से लागू पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त होगी। यह योजना 1 जनवरी 2025 से अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी।
इस पहल का उद्देश्य किसानों को डीएपी खाद सस्ती और किफायती कीमत पर उपलब्ध कराना है, जिससे खेती की लागत कम हो और किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। यह योजना खास तौर पर रबी और खरीफ जैसे महत्वपूर्ण कृषि सीजन के दौरान खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
पृष्ठभूमि और विस्तार
2024 में भी सरकार ने डीएपी खाद की कीमतों को स्थिर रखने का प्रयास किया था, जबकि वैश्विक बाजार की अस्थिरता और भू-राजनीतिक चुनौतियों के चलते उर्वरकों की लागत में बढ़ोतरी हुई थी। जुलाई 2024 में, सरकार ने डीएपी पर विशेष पैकेज की शुरुआत की थी, जिसमें 1 अप्रैल 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक के लिए ₹3,500 प्रति टन अतिरिक्त सब्सिडी दी गई थी। इस योजना पर लगभग ₹2,625 करोड़ का वित्तीय प्रावधान किया गया था।
एनबीएस योजना के तहत 28 प्रकार के फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) आधारित उर्वरक किसानों को सब्सिडी के जरिए उपलब्ध कराए जाते हैं। यह योजना 1 अप्रैल 2010 से लागू है और फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक रही है।
क्रियान्वयन की रणनीति
नई योजना के तहत डीएपी पर ₹3,500 प्रति टन की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। इस सब्सिडी को उर्वरक निर्माताओं और आयातकों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा। योजना को लागू करने में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी कृषि सीजनों में खाद समय पर उपलब्ध हो।
वैश्विक और बाजार कारक
सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है। भू-राजनीतिक परिस्थितियां और कच्चे माल की आपूर्ति में बाधाएं उर्वरकों की लागत को प्रभावित कर रही हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने किसानों के हित को प्राथमिकता देते हुए डीएपी की कीमतें किफायती बनाए रखने का वादा किया है।
डीएपी खाद भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से रबी और खरीफ सीजन में किया जाता है, जब फसल उत्पादन चरम पर होता है। यह खाद फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है, जिससे पैदावार में सुधार होता है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह योजना अगले आदेश तक जारी रहेगी।
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