जलवायु परिवर्तन और कृषि चुनौतियों के समाधान के लिए वाराणसी में बीज विशेषज्ञ जुटे
29 नवंबर 2024, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन और कृषि चुनौतियों के समाधान के लिए वाराणसी में बीज विशेषज्ञ जुटे – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस का वर्चुअली उद्घाटन करते हुए बीज गुणवत्ता, नवाचार और किसानों को सुलभ बीज उपलब्ध कराने की रणनीतियों पर जोर दिया। तीन दिवसीय यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और किसानों सहित 700 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस अवसर पर श्री चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय बीज कांग्रेस, बीज क्षेत्र में ज्ञान साझा करने और साझेदारी को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार और मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर जोर दिया। श्री चौहान ने कहा, “गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता छोटे किसानों के लिए खेती को आसान और अधिक लाभदायक बनाएगी। हम किसानों को सस्ते, टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, आईआरआरआई की महानिदेशक डॉ. यवोन पिंटो, और आईएसएआरसी के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। श्री शाही ने उत्तर प्रदेश में बीज क्षेत्र में हो रहे नवाचारों और राज्य की कृषि परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि तिलहन और बाजरा की खेती बढ़ाने और 200 बीज पार्कों की स्थापना की योजना राज्य की कृषि को और मजबूत करेगी।
बीज क्षेत्र में भारत की भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीज क्षेत्र में भारत की वैश्विक भूमिका बढ़ रही है। जलवायु अनुकूल और पोषण संवर्धित (बायोफोर्टिफाइड) बीजों के विकास के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आईआरआरआई और अन्य संस्थानों के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।
डॉ. यवोन पिंटो ने कहा, “यह कांग्रेस क्षेत्रीय साझेदारी और साझा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत की जैव विविधता और अनुसंधान क्षमता खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि को मजबूत करने में मददगार होगी।”
पूर्वी भारत के लिए नई पहल
कार्यक्रम के दौरान बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के लिए चावल परती भूमि वेबपेज और एटलस लॉन्च किए गए। यह पहल भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से परती भूमि का मानचित्रण करेगी और कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी। कृषि मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर ने कहा कि यह उपकरण पूर्वी भारत के किसानों के लिए फसल योजना को अनुकूल बनाने में सहायक होगा।
पूर्ण सत्रों में बीज क्षेत्र पर गहन चर्चा
उद्घाटन के दिन तीन प्रमुख सत्र आयोजित किए गए:
- वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की भूमिका: इस सत्र में भारत के नेतृत्व और वैश्विक बीज बाजार में सार्वजनिक-निजी सहयोग पर चर्चा हुई। वक्ताओं में डॉ. हंस भारद्वाज (आईआरआरआई) और श्री अजय राणा (एफएसआईआई) शामिल थे।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग: इस सत्र में जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए विकासशील देशों के बीच सहयोग पर बल दिया गया।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ाने में सरकारी और निजी क्षेत्र के योगदान पर चर्चा की गई।
तकनीकी सत्र में उभरती बीज प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता मानकों पर चर्चा हुई। साथ ही, “पूर्वी भारत के भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से चावल की परती भूमि को लक्षित करना” विषय पर विशेष सत्र आयोजित किया गया।
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