राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

वैश्विक स्तर पर भारतीय अनुसंधान की पहचान, हिसार की इक्वाइन लैब को डब्ल्यूओएएच की मान्यता

09 नवंबर 2024, नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर भारतीय अनुसंधान की पहचान, हिसार की इक्वाइन लैब को डब्ल्यूओएएच की मान्यता –  भारत में पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत हिसार स्थित आईसीएआर-एनआरसी इक्विन को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) ने इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस रोग के लिए आधिकारिक संदर्भ प्रयोगशाला का दर्जा प्रदान किया है। यह उपलब्धि देश की वैज्ञानिक क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की पहचान को और मजबूत करती है।

क्या है इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस रोग?

इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस एक गंभीर रक्त जनित रोग है, जो टिक-जनित प्रोटोजोआ परजीवी, बेबेसिया कैबली और थेलेरिया इक्वी के कारण होता है। यह घोड़ों, गधों, खच्चरों और ज़ेब्राओं जैसे इक्वाइन जानवरों को प्रभावित करता है और इनके स्वास्थ्य के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालता है। भारत में इसकी सीरोप्रिवलेंस दर 15-25% तक है, जबकि कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में यह 40% तक पहुंच सकती है। इससे जानवरों की उत्पादकता में कमी आती है, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और घोड़ों की आवाजाही व निर्यात पर प्रतिबंध का कारण बनता है।

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अंतरराष्ट्रीय मान्यता से बढ़ी भारत की साख

20वीं पशु जनगणना के अनुसार, भारत में करीब 0.55 मिलियन इक्वाइन हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईसीएआर-एनआरसी इक्विन को संदर्भ प्रयोगशाला का दर्जा मिलने से अब यह भारत और दुनिया भर में इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस की निगरानी, उन्नत निदान और रिसर्च के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा। भारत में यह चौथी प्रयोगशाला है जिसे डब्ल्यूओएएच द्वारा मान्यता दी गई है। इससे पहले आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल (एवियन इन्फ्लुएंजा), कर्नाटक पशु चिकित्सा पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर (रेबीज), और आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (पीपीआर और लेप्टोस्पायरोसिस) को मान्यता प्राप्त हो चुकी है।

उन्नत तकनीक और निदान के लिए तैयार

आईसीएआर-एनआरसी इक्विन ने इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस के निदान के लिए एलिसा, फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट और पीसीआर जैसी तकनीकों का विकास किया है, जो जल्द निदान और उपचार में सहायक साबित हो सकती हैं। यह संस्थान अब वैश्विक स्तर पर तकनीकी विशेषज्ञता साझा करेगा, उन्नत नैदानिक सेवाएं प्रदान करेगा और इस बीमारी पर प्रमुख अनुसंधान करेगा। मई 2025 में 92वें डब्ल्यूओएएच आम सत्र में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।

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