डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर पंजाब चिंतित, शिवराज से मांगी मदद
06 जनवरी 2025, नई दिल्ली: डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर पंजाब चिंतित, शिवराज से मांगी मदद – पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसानों के साथ बातचीत में व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की मांग की। यह मांग उन्होंने पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभु और खनौरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए की है।
शिवराज सिंह चौहान को दूसरी बार लिखा पत्र
यह दूसरी बार है जब खुदियां ने इस महीने के भीतर केंद्र से मदद मांगी है। 20 दिसंबर को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर ध्यान देने को कहा था। डल्लेवाल का आमरण अनशन शनिवार को 40वें दिन में प्रवेश कर गया।
खुदियां ने केंद्रीय मंत्री के साथ एक वर्चुअल प्री-बजट बैठक के दौरान कहा, “मैंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि वे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें पता है कि राज्यों के मुख्यमंत्री कई बार संकट का समाधान केंद्र से चाहते हैं। मैंने उनसे इस मामले में त्वरित ध्यान देने की अपील की, क्योंकि स्थिति चिंताजनक हो रही है।”
किसानों की मांगें और सरकार की दूरी
विरोध प्रदर्शन के प्रमुख मुद्दे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों से जुड़े हैं। किसान 2022 से शंभु और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। शनिवार को एक किसान महापंचायत में इस आंदोलन को और तेज किया गया।
डल्लेवाल, जो 70 वर्ष के हैं, बिना भोजन के केवल पानी के सहारे अपना अनशन जारी रखे हुए हैं और उन्होंने चिकित्सा सहायता भी लेने से इनकार कर दिया है।
खुदियां ने यह भी बताया कि उन्होंने केंद्र से धान की पराली नहीं जलाने वाले किसानों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ बोनस देने, किसानों की आत्महत्याएं रोकने के लिए योजना बनाने और कृषि क्षेत्र के विविधीकरण की मांग की।
केंद्र की झिझक: क्यों नहीं हो रही सीधी बातचीत?
2020-21 के कृषि कानूनों के खिलाफ हुए बड़े किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने किसान यूनियनों के साथ कई दौर की वार्ता की थी। लेकिन इस बार केंद्र ने अपने रुख में बदलाव किया है। सरकार का मानना है कि पिछली बार यूनियनों को बातचीत के लिए बुलाने से आंदोलन और तेज हो गया था।
शिवराज सिंह चौहान का सुझाव
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र की विकास दर इस साल 3.5 से 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने राज्य सरकारों से उपभोक्ताओं और किसानों के बीच मूल्य अंतर को कम करने के लिए सुझाव मांगे।
उन्होंने कहा, “किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता, जबकि वही उत्पाद शहरों में काफी महंगा बिकता है। इस अंतर को कैसे कम किया जाए, इस पर सभी को विचार करना चाहिए।”
खुदियां ने बताया कि बैठक के बाद उन्हें उम्मीद है कि केंद्र इस मुद्दे को हल करेगा। उन्होंने कहा, “एक बार जब मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलूंगा, तो किसानों की मांगों को उनके सामने और मजबूती से रख सकूंगा।”
किसान आंदोलन का भविष्य
पंजाब-हरियाणा सीमा पर चल रहे इस आंदोलन की तुलना 2020-21 के आंदोलन से की जा रही है, लेकिन इसके दायरे और प्रभाव में कमी है। देखना होगा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर किस हद तक सकारात्मक कदम उठाती है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: