काजू नट्स (Cashew Nuts) की प्रोसेससिंग
लेखक: रामकुमार राय, अंकित भारती, श्रद्धा शर्मा, शिवानी मालवीय, भरत बंसल, वैज्ञानिक नाम– एनाकार्डायम ऑक्सीडेंटले, उत्पत्ति स्थान -पूर्वी ब्राजील
21 सितम्बर 2024, भोपाल: काजू नट्स (Cashew Nuts) की प्रोसेससिंग – प्रस्तावना- वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि काजू को 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा ब्राजील से भारत लाया गया था l समूचे विश्व में भारत, काजू के उत्पादन में 20.30% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर आता हैl काजू के उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उडीसा आते हैंl भारत में काजू की खपत ज्यादा होने के कारण इसकी पूर्ति भारत के उत्पादन से नहीं हो पाती है, इसलिए लगभग 80% काजू का आयात अफ्रीकी देशों से करना पडता है l
काजू(Cashew) एक पौष्टिक और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है, पोषण मान अधिक होने के कारण इसे “जीरो कोलेस्ट्रॉल नट “और “सफेद सोना” के नाम से भी जाना जाता हैl जिसे विभिन खाद्य व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। यह नट्स जिस रूप में हम उपभोग करतेहैं, उसकी प्रोसेसिंग कई चरणों में होती है, ताकि हमें बेहतर स्वाद और गुणवत्ता केसाथ इसका उपभोग कर सकें ।
भारत में काजू प्रसंस्करण- भारत, एशिया का प्रमुख काजू प्रसंस्करण देश है, अत्यशिक कुशल कार्यबल और निम्न श्रम लागत से इसे काजू के मैनुअल प्रसंस्करण पर एक आभासी एक अधिकार प्राप्त करने की अनुमति दी हैl नीचे काजू नट्स की प्रोसेसिंग के मुख्य चरणों का वर्णन किया गया है l
काजू के फलों की तुडाई: खाने योग्य काजू एप्पल जो फूल से विकसित होता है तथा काजू एप्पल में ही काजू की गिरी कठोर छिलके युक्त लगी होती है, प्राकृतिक रूप से गिरा जमीन पर गिर जाती है जिसे इकट्ठा कर लिया जाता हैl काजू के फलों की तुडाई मार्च-अप्रैल माह में की जाती है,काजू के एक पौधे से लगभग 6 किलो फल प्राप्त होते हैं, जब वृक्ष की आयु 15 वर्ष होती हैl
काजू के फलों को सुखाना: काटे गए काजू के फलों को सूखाने के लिए धूप में रखा जाता है। यह एक पुरानी विधि है, यह सुखाने की प्रकिया काजू के फलों की नमी को घटाती है, ताकक उसे लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेl
रोस्टिंग: काजू के कच्चे फलों को 150 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर 2 मिनट के लिए रोस्ट किया जाता है, रोसस्टिंग के बाद काजू को सेलिंग(छिलका उतारने) के लिए भेजा जाता है I
वोरमा में 100 से 110 शडग्री सेंटीग्रेड तापमान पर स्टोर करके रखा जाता है ताकि जो अभी काजू के ऊपर पीला हल्का कलर है उसकी परत को हटाया जा सके , जिससे अधिक सफ़ेद काजू प्राप्त किया जा सके I
पीलिंग: काजू के ऊपर के छिलके को मैन्युअल और मशीन दोनों की सहायता से हटाया जाता है ,ताकि उसे मार्केटिंग के लियइ तैयार किया जा सके I
ग्रेडिंग: आकर के आधार पर काजू को अलग-अलग ग्रेड में तैयार किया जाता है ग्रेडिंग करने के लिए काजू को विशेष मशीनों में प्रसंस्कृत किया जाता है I इसके परिणाम स्वरूप, काजू के विभिन्न फलों को आकार और गुणवत्ता के हिस्सों में विभाजित किया जाता है। काजू में 34 ग्रेड होते हैं, सबसे उच्चा काजू डब्लू 180 माना जाता हैl ग्रेडिंग के आधार पर उसकी मार्केटिंग वैल्यू डिसाइड होती है, 620 रुपए प्रति किलोग्राम से लेकर 850 रुपए प्रति किलोग्राम तक काजू की कीमत होती है l
क्वालिटी कंट्रोल: पैकेजिंग से पहले काजू को अलग-अलग छल्लयों से गुजारा जाता है और टूटा हुआ, काजू अलग किया जाता है मेटल डिटेक्शन की सहायता से धातु की अशुद्धियों को आयरन डिटेक्टर के माध्यम से अलग किया जाता हैl
पैकेजिंग: निर्धारित वजन की पैकेट में काजू को भरके एयर टाइट पैक किया जाता है ताकि उसको लिंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके, काजू की सेल्फ लाइफ 6 प्रशतशत से कम नमी होने पर 6 माह तक होती है l
मार्केटिंग: b2b और c2c मार्केटिंग दोनों ही प्रकार से काजू की मार्केटिंग की जाती है l
लागत एविं मुनाफा : काजू की एक प्रोसेसिंग यूनिट में लगभग 70 लाख का खर्चा आता है, जिसमे प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज के माध्यम से 35% की सब्सिडी प्रदान की जाती है, काजू की प्रोसेससिंग में 10% का प्रॉफिट हो जाता है l
न्यूट्रिशनल कंपोनेंट्स | प्रति 100 ग्राम में वैल्यू |
कार्बोहाइड्रेट | 20.5g |
प्रोटीन | 21.3g |
फैट | 44 g |
फाइबर | 3.3 g |
कैलोरी | 553 kcal कैलोरी |
चीनी | 5.9 g |
सोडियम | 14.4 mg |
आयरन | 6.68 mg |
कैल्शियम | 37 mg |
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