सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: बीमा कंपनियों पर उठे सवाल, दावे अटके, मुआवजा लटका!

12 मार्च 2025, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: बीमा कंपनियों पर उठे सवाल, दावे अटके, मुआवजा लटका! – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को 2025-26 तक बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। इसके लिए सरकार ने 69,515.71 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। हालांकि, किसानों के लिए राहत देने वाली इस योजना में बीमा दावों के निपटारे में देरी और कंपनियों की जवाबदेही जैसे कई सवाल अब भी बने हुए हैं। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से लागू है और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है। हालांकि, यह राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं है। वे अपनी वित्तीय स्थिति और जोखिम को देखते हुए इसमें भाग लेने या इससे बाहर होने का फैसला कर सकते हैं। अब तक 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे किसी न किसी सीजन में अपनाया है, जबकि फिलहाल 23 राज्य इस योजना को लागू कर रहे हैं।

बीमा दावा निपटाने में देरी क्यों हो रही है?

यह योजना राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों के सहयोग से चलाई जा रही है। बीमा कंपनियों का चयन पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जबकि फसल हानि का आकलन राज्य सरकार और बीमा कंपनियों की संयुक्त समिति द्वारा किया जाता है।

राज्य सरकारें बीमा कंपनियों का चयन, किसानों का नामांकन और फसल हानि का आकलन करने जैसे कार्य देखती हैं। लेकिन इसके बावजूद किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। कई बार बीमा कंपनियां तय समय पर दावों का निपटारा नहीं करतीं, तो कभी राज्य सरकार की ओर से धनराशि जारी करने में देरी हो जाती है।

इसके अलावा, बैंकों द्वारा गलत बीमा प्रस्ताव भेजने, उपज के आंकड़ों में गड़बड़ी, बीमा कंपनियों और सरकार के बीच विवाद जैसी समस्याएं भी हैं। कई जगह बीमा कंपनियों के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिससे किसानों के दावे अटक जाते हैं।

शिकायतों के निपटारे के लिए क्या इंतजाम?

योजना से जुड़े विवादों को कम करने के लिए सरकार ने जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समितियों (DGRC और SGRC) का गठन किया है। इन समितियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं ताकि वे किसानों की शिकायतें सुनकर तय प्रक्रिया के तहत हल कर सकें। इसके अलावा, ‘कृषि रक्षक पोर्टल’ और टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14447 शुरू किया गया है, जहां किसान अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इन शिकायतों के समाधान के लिए एक निश्चित समयसीमा भी तय की गई है।

बीमा कंपनियों की जवाबदेही पर सवाल?

सरकार का कहना है कि बीमा दावों के जल्द निपटारे और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए समय-समय पर नियमों में बदलाव किया गया है। बीमा कंपनियों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस, व्यक्तिगत बैठकें और राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन भी किए जा रहे हैं।

लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। प्रशासनिक अड़चनों और कंपनियों की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते किसान योजना का पूरा लाभ नहीं उठा पा रहे। ऐसे में देखना होगा कि सरकार के सुधार कितने असरदार साबित होते हैं और किसानों को सही समय पर राहत मिल पाती है या नहीं।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements