भूमि क्षरण से घट रहा है फसल उत्पादन, 1.7 अरब लोग प्रभावित: FAO रिपोर्ट
04 नवंबर 2025, रोम: भूमि क्षरण से घट रहा है फसल उत्पादन, 1.7 अरब लोग प्रभावित: FAO रिपोर्ट – दुनिया भर में कृषि-भूमि की सेहत तेजी से बिगड़ रही है और इसका असर अब किसानों की फसलों और ग्रामीण आजीविका पर साफ नजर आने लगा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, करीब 1.7 अरब लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं जहां भूमि के क्षरण से खेती में 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से मानव-जनित गतिविधियों के कारण हो रही है, जिनमें असंतुलित खेती, वनों की कटाई, अत्यधिक चराई और अनुचित सिंचाई शामिल हैं।
‘द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (SOFA) 2025’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि क्षरण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गई है, बल्कि खाद्य सुरक्षा, किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सीधा खतरा बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित आबादी में 5 साल से कम उम्र के 4.7 करोड़ से अधिक बच्चे हैं, जिनमें पोषण की कमी के कारण ठिगनेपन (stunting) की समस्या बढ़ रही है। एशिया इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र के रूप में सामने आया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यदि भूमि क्षरण की प्रक्रिया को रोका जाए और मिट्टी के स्वास्थ्य को बहाल करने के प्रयास किए जाएं, तो खेती में महत्वपूर्ण सुधार संभव है। अनुमान है कि यदि मौजूदा कृषि भूमि के मात्र 10 प्रतिशत हिस्से पर ही मिट्टी की गुणवत्ता को वापस सुधारा जाए, तो हर वर्ष लगभग 15.4 करोड़ अतिरिक्त लोगों के लिए अनाज का उत्पादन किया जा सकता है।
FAO के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने रिपोर्ट के प्राक्कथन में लिखा है कि सतत भूमि प्रबंधन भविष्य में कृषि की रीढ़ साबित होगा। उन्होंने कहा कि भूमि की रक्षा करने के लिए नीतियों में बदलाव, किसानों को प्रोत्साहन और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अनिवार्य है।
भारत जैसे कृषिप्रधान देश के लिए यह रिपोर्ट एक गंभीर संकेत है। भूमि पर खेती का अत्यधिक दबाव, रासायनिक उर्वरकों का अनियंत्रित इस्तेमाल और प्राकृतिक खेती के तरीकों की अनदेखी स्थिति को और जटिल बना रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी की संरचना और पोषण क्षमता बनाए रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग, फसल चक्र अपनाना और पानी की कुशल उपयोग प्रणाली जैसे उपाय अब आवश्यक हो गए हैं।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि यदि विश्व को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो मिट्टी को बचाने के लिए अभी ठोस कदम उठाने होंगे — क्योंकि एक बार जमीन की सेहत बिगड़ गई, तो उसे वापस सुधारना बहुत महंगा और समय लेने वाला काम बन जाता है।
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