धान की फसल पर बाढ़ का नुकसान फिर से फसल बीमा में, जंगली जानवर कवर भी लागू: PMFBY
19 नवंबर 2025, नई दिल्ली: धान की फसल पर बाढ़ का नुकसान फिर से फसल बीमा में, जंगली जानवर कवर भी लागू: PMFBY – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत धान की फसल पर बाढ़ और पानी भरने से होने वाले नुकसान को फिर से कवरेज में शामिल कर दिया है। यह नई प्रक्रिया खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू होगी और इससे बाढ़–प्रभावित तथा तटीय क्षेत्रों के धान किसानों को औपचारिक सुरक्षा मिलेगी।
2018 में धान जलभराव को स्थानीय आपदा श्रेणी से हटाया गया था। इसके कारण भारी बारिश, पानी भरने और नदियों–नालों के उफान की स्थिति में किसानों को नियमित नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन इस नुकसान पर बीमा दावा उपलब्ध नहीं था। कई जिलों में धान के खेत लंबे समय तक पानी में डूबे रहते हैं, जिससे उपज पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इन परिस्थितियों की समीक्षा के लिए कृषि विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय ने धान जलभराव को PMFBY के स्थानीय जोखिम कवर में पुनः शामिल करने की मंजूरी दी है। किसानों को नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से देनी होगी और भू-टैग फोटो अपलोड करनी होगी। यह प्रक्रिया PMFBY ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुरूप तैयार की गई है।
धान की बाढ़ से होने वाला नुकसान ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अधिक देखा जाता है। कवरेज दोबारा लागू होने से इन क्षेत्रों के किसानों को राहत मिलेगी।
जंगली जानवरों से फसल नुकसान भी PMFBY में शामिल
धान जलभराव को शामिल करने के साथ ही मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को भी PMFBY के स्थानीय जोखिम श्रेणी में एक नए ऐड-ऑन कवर के रूप में स्वीकृति दी है। राज्यों को ऐसे जंगली जानवरों की सूची जारी करनी होगी जो फसल नुकसान का कारण बनते हैं और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील बीमा इकाइयों की पहचान करनी होगी।
किसानों को जंगली जानवरों द्वारा हुए नुकसान की सूचना भी 72 घंटे के भीतर मोबाइल ऐप पर देनी होगी। फसल नुकसान के ये मामले जंगलों, वन मार्गों और पहाड़ी क्षेत्रों के आसपास अधिक पाए जाते हैं। यह फैसला ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हिमालयी तथा पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को लाभ देगा।
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