नोटबंदी से किसानी प्रभावित
भोपाल। देश एवं प्रदेश में नोटबंदी के कारण किसानी प्रभावित हो रही है। पिछले दो वर्षों से मौसम की मार से कराहती ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस साल बेहतर मानसून और अच्छे उत्पादन की उम्मीद में परवान चढ़ रही थी परंतु नोटबंदी के कारण अब दम तोड़ती नजर आ रही है। कृषि देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। परंतु सरकार द्वारा बड़े नोट बंद करने के कारण नगदी की परेशानी से किसान परेशान हो रहे हैं जिससे खरीफ की फसल बेचने एवं रबी फसल लगाने का गणित बिगड़ गया है। वर्तमान में रबी फसलों की बुवाई चल रही है परंतु गति धीमी है। आदान की व्यवस्था के लिए नगदी का इंतजाम करने में किसान को पसीना आ रहा है। घंटों बैंकों की लाईन में समय बीतने के कारण बुवाई का वक्त हाथ से फिसलता जा रहा है। यदि समय रहते पर्याप्त नगदी की व्यवस्था नहीं की गई तो रबी में उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि गत 8 नवम्बर से बंद हुए 500 एवं 1000 के नोट के कारण किसानों के समक्ष नगदी की समस्या उत्पन्न हो गई है। रबी फसल के शुरूआत में बुवाई में तेजी आयी थी परंतु इसके बाद बोनी की रफ्तार में कमी आयी है। क्योंकि बुवाई के लिये खाद, बीज एवं कीटनाशकों की खरीद के लिये किसान नगदी की समस्या से जूझ रहा है। अब तक देश में 241 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें बोई गई हैं जबकि म.प्र. में 53 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोनी कर ली गई है।
दूसरी तरफ इस नाजुक घड़ी में रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों में 500 एवं 1000 के नोट जमा करने पर रोक लगा दी है। जिससे किसानों को पैसा जमा करने में दिक्कत हो रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस फैसले को रद्द करने के लिये केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्र भी लिखा है। साथ ही सहकारी बैंकों ने रबी फसलों के लिए किसान को बिना ब्याज के ऋण देने के लिये आरबीआई से कर्ज मांगा है। नगदी के अभाव में मंडियों में भी खरीद-फरोख्त भी प्रभावित हुई है। व्यापारी उपज बेचने वाले किसानों को समय पर नकदी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।
दूसरी ओर सरकार का कहना है कि किसानों को राहत देने के उपाय किए जा रहे हैं। किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसान हर हफ्ते 25 हजार रुपये तक निकाल सकते हैं। जिन किसानों के खाते में फसल का पैसा आरटीजीएस या चेक से जमा होता है और खाते यदि केवाईसी युक्त हंै वे हर हफ्ते 25 हजार रुपये अतिरिक्त निकाल सकेंगे।
बहरहाल नोटबंदी के कारण किसान एवं ग्रामीण बाजारों में हलचल धीमी है। परंतु जानकारों के मुताबिक इस माह के अंत तक स्थिति सामान्य होने की संभावना है। यदि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का सकारात्मक नतीजा निकलता है तो रबी सीजन बेहतर होगा। अन्यथा पिछले दो वर्ष सूखे के कारण तथा इस वर्ष नोटबंदी के कारण फसल उत्पादन पिछड़ सकता है।