राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ICAR की 96वीं बैठक में कृषि विकास पर मंथन: शिवराज सिंह बोले- राज्यों और फसलों के हिसाब से बनेगी कार्ययोजना

10 जुलाई 2025, नई दिल्ली: ICAR की 96वीं बैठक में कृषि विकास पर मंथन: शिवराज सिंह बोले- राज्यों और फसलों के हिसाब से बनेगी कार्ययोजना – नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में सोमवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की 96वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। इस अहम बैठक में 18 से ज्यादा केंद्रीय और राज्य स्तर के मंत्री शामिल हुए।

बैठक में केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी, जितेंद्र सिंह, एस.पी. बघेल, जॉर्ज कुरियन समेत विभिन्न राज्यों के मंत्री जैसे विजय कुमार सिन्हा (बिहार), माणिराव कोकाटे (महाराष्ट्र), अदल सिंह कंसाना (मध्यप्रदेश), श्याम सिंह राणा (हरियाणा), सूर्यप्रताप शाही (उत्तर प्रदेश) और अन्य राज्यों के कृषि, पशुपालन व मत्स्य मंत्रियों ने भाग लिया। साथ ही कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे।

ICAR की रिपोर्ट और प्रकाशन

ICAR के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट ने परिषद की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 का प्रस्तुतीकरण किया, जिसे सभा में अंगीकृत किया गया। साथ ही, वित्तीय सलाहकार द्वारा 2023-24 की लेखा रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। बैठक में कृषि व तकनीकी विषयों पर आधारित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

किसानों के हित में समर्पित प्रयासों की प्रतिबद्धता

बैठक को संबोधित करते हुए कई मंत्रियों ने खाद्यान्न उत्पादन में हो रही वृद्धि और कृषि क्षेत्र की तरक्की पर खुशी जताई। सभी ने खेती और किसान समृद्धि के लिए एकजुट होकर काम करने की प्रतिबद्धता जाहिर की। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रासंगिक योजनाएं जारी रहेंगी, जबकि अप्रासंगिक योजनाओं को बंद किया जाएगा। उन्होंने राज्य मंत्रियों से नई योजनाओं पर सुझाव भी मांगे। साथ ही कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों तक पहुंचे।

राज्यवार-फसलवार कार्ययोजना पर जोर

श्री चौहान ने कहा कि कृषि एक राज्य का विषय है, और राज्य सरकारों के सहयोग के बिना कृषि में प्रगति संभव नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि अब से खेती के लिए राज्य की आवश्यकताओं और फसलों के अनुसार कार्ययोजना बनाई जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक समय था जब भारत को अमेरिका से गेहूं आयात करना पड़ता था, लेकिन आज भारत खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड बना रहा है और निर्यात कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और वैज्ञानिकों के शोध से संभव हो पाया है। मंत्री ने आगे कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन जैसी फसलों पर और अधिक शोध की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में हाल ही में सोयाबीन के खराब बीज की समस्या देखी गई, जिसके लिए जांच के आदेश दिए गए हैं। अमानक बीज, खाद और उर्वरक को लेकर जल्द ही कड़े कानूनी प्रावधान लाए जाएंगे।

उर्वरकों की गुणवत्ता जांचने वाले उपकरण का सुझाव

श्री चौहान ने बताया कि एक किसान ने ऐसा उपकरण बनाने की मांग की है जो उर्वरक की गुणवत्ता जांच सके। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे प्रयोगशालाओं का ज्ञान खेतों तक पहुंचाएं, ताकि शोध का वास्तविक लाभ किसानों को मिल सके।

फसलवार सम्मेलन का सिलसिला

कृषि मंत्री ने बताया कि अब हर फसल पर अलग-अलग सम्मेलन होंगे। इंदौर में सोयाबीन पर बैठक हो चुकी है। अगला सम्मेलन 11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास को लेकर होगा। इसमें फसल, जलवायु और किसानों की ज़रूरतों के मुताबिक ठोस समाधान तैयार किए जाएंगे। रबी फसल से पहले राज्यों के साथ मिलकर ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत दो दिवसीय रबी सम्मेलन होगा। पहले दिन रणनीति बनेगी, और दूसरे दिन राज्य मंत्री इसे मंजूरी देंगे।

भारत बनेगा ‘फूड बॉस्केट’

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि भारत की मिट्टी अत्यंत उर्वरक है और यह देश दुनिया के लिए भी अन्न पैदा करेगा। उन्होंने कहा, “विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी हैं।” कृषि मंत्री ने कहा कि खेती केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि देश की सेवा है। हमें 144 करोड़ लोगों के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करनी है और प्रकृति के साथ संतुलन रखते हुए विकास करना है।

वैज्ञानिकों को बताया आधुनिक महर्षि

अंत में, श्री शिवराज सिंह ने वैज्ञानिकों को आधुनिक महर्षि बताते हुए कहा कि वे जो भी शोध करें, वह कागज तक सीमित न होकर किसानों की ज़रूरतों से जुड़ा हो। उन्होंने कहा कि उपलब्धियों के साथ-साथ चुनौतियों को भी प्राथमिकता देना जरूरी है।

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