सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

केंद्र का सख्त संदेश: मत्स्य किसानों को योजनाओं से जोड़ने के लिए राज्य तेजी दिखाएं

04 अगस्त 2025, नई दिल्ली: केंद्र का सख्त संदेश: मत्स्य किसानों को योजनाओं से जोड़ने के लिए राज्य तेजी दिखाएं – केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शनिवार पश्चिम बंगाल में मत्स्यपालन योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही रुकावटों को दूर करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने खास तौर पर राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) में मत्स्य किसानों के कम पंजीकरण की समस्या को गंभीर मुद्दा बताया और इसके समाधान की आवश्यकता जताई।

32 लाख में से केवल कुछ किसान ही जुड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म से

कोलकाता में आयोजित मत्स्यपालन विभाग की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य के लगभग 32 लाख मत्स्य किसानों में से केवल थोड़े से ही किसान वर्तमान में एनएफडीपी में पंजीकृत हैं। इससे उन्हें पीएम मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

तालाबों और पारंपरिक जल स्रोतों के बेहतर उपयोग की अपील

ललन सिंह ने राज्य में अंतर्देशीय मत्स्यपालन की अपार क्षमता की बात कही और कहा कि पारंपरिक जल निकायों (जैसे पुकुर या तालाब) का सही उपयोग किया जाए। साथ ही, उन्होंने मछुआरों के लिए सहकारी संस्थाओं के विकास और एक मजबूत प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) प्रणाली के निर्माण पर भी ज़ोर दिया।

स्थानीय रोजगार और निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल में सूखी मछली (ड्राई फिश) क्लस्टर बनाने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और निर्यात को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

नई तकनीक और प्रशिक्षण पर बल

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्थायी विकास के लिए जरूरी है कि मत्स्यपालन में नई तकनीकों, बेहतर प्रशिक्षण सुविधाओं और कृत्रिम रीफ़ (artificial reef) जैसे प्रयासों को बढ़ावा दिया जाए।
उन्होंने बताया कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है, और देश में मछली उत्पादन में 104% की वृद्धि हुई है। साथ ही, अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में भी पिछले दशक में 142% की वृद्धि दर्ज की गई है।

मत्स्य निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अब मत्स्य निर्यात के क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि वैश्विक बाजार में भारत की पकड़ और मजबूत हो। बैठक में केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और भारत सरकार के मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी भी शामिल हुए।
दोनों ने केंद्र-राज्य समन्वय, संस्थागत सहयोग और योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन पर बल दिया।

चार राज्यों की प्रगति पर केंद्र की नजर

कोलकाता के एक होटल में आयोजित इस क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे चार पूर्वी राज्यों की प्रमुख मत्स्य योजनाओं की प्रगति पर ध्यान दिया गया। इस दौरान केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तुतियां दीं और योजनाओं की स्थिति पर जानकारी साझा की।

योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन का मूल्यांकन

इस बैठक का मकसद था प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), मत्स्यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और पीएम-एमकेएसएसवाई जैसी योजनाओं के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन का आकलन करना और आने वाले समय में बेहतर परिणामों के लिए रोडमैप तैयार करना।

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