प्याज की कीमतों में गिरावट को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार की नई योजना
07 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: प्याज की कीमतों में गिरावट को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार की नई योजना – किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने और बाजार में टमाटर, प्याज और आलू (TOP फसलों) की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज किसानों के लिए विशेष योजना शुरू की है। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में दी।
किसानों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)
देश में बागवानी फसलों, विशेषकर नाशवान फसलों जैसे प्याज, टमाटर और आलू के लिए अक्सर किसानों को सही कीमतें नहीं मिल पातीं, जिससे वे घाटे में अपनी फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार बाजार हस्तक्षेप योजना(Market Intervention Scheme- MIS) लागू करती है, ताकि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत प्रमुख प्रावधान
- मूल्य गिरावट पर कार्रवाई: यदि किसी फसल के बाजार मूल्य पिछले सामान्य सीजन की औसत कीमतों से 10% या अधिक कम हो जाते हैं, तो राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अनुरोध पर यह योजना लागू की जाती है।
- लागत साझेदारी: इस योजना के तहत राज्यों को हुए वित्तीय नुकसान को केंद्र और राज्य सरकारें 50:50 के अनुपात में साझा करती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह अनुपात 75:25 है।
- खरीद सीमा: राज्य सरकारें अपनी कुल उत्पादन का अधिकतम 25% तक इस योजना के तहत खरीद सकती हैं।
- प्रत्यक्ष भुगतान का विकल्प: राज्यों को भौतिक खरीद के बजाय किसानों के खातों में सीधा अंतर मूल्य भुगतान करने का विकल्प भी दिया गया है।
टमाटर, प्याज और आलू (TOP फसलें) के लिए MIS के तहत केंद्र सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक इन फसलों के परिवहन और भंडारण की लागत उठाने की जिम्मेदारी दी है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य प्रदान करना और उपभोक्ताओं के लिए इन फसलों की कीमतों को स्थिर रखना है।
प्याज भंडारण के लिए वित्तीय सहायता
प्याज की खेती को बढ़ावा देने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सरकार बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture – MIDH) के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अंतर्गत:
भंडारण सुविधाएं: 25 मीट्रिक टन क्षमता वाले कम लागत के प्याज भंडारण इकाइयों के निर्माण पर अधिकतम लागत का 50% (1.75 लाख रुपये प्रति इकाई तक) वित्तीय सहायता उपलब्ध है।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की सुविधा प्रदान करना है, ताकि वे कीमतों में गिरावट के दौरान नुकसान से बच सकें।
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