राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन: उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को 15वें वित्त आयोग से मिला बड़ा अनुदान

25 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन: उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को 15वें वित्त आयोग से मिला बड़ा अनुदान – ग्रामीण भारत में विकास को नई दिशा देने और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने की दिशा में 15वें वित्त आयोग के तहत केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है।

भारत में पंचायती राज संस्थाएं (पीआरआई) लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज को सशक्त बनाने के लिए 29 विषय निर्धारित किए गए हैं। इन संस्थाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता का उद्देश्य न केवल बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है, बल्कि जमीनी स्तर पर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना भी है।

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उत्तर प्रदेश

वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान, उत्तर प्रदेश में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत 1598.80 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त जारी की गई है। यह राशि प्रदेश की 75 जिला पंचायतों, 826 ब्लॉक पंचायतों और 57,691 ग्राम पंचायतों को आवंटित की गई है।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में इसी अवधि के लिए कुल 446.49 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें दूसरी किस्त के तहत 420.99 करोड़ रुपये और पहली किस्त के 25.49 करोड़ रुपये शामिल हैं। यह राशि राज्य की 13 जिला पंचायतों, 650 ब्लॉक पंचायतों और 13,097 ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई है।

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अनुदान का उद्देश्य और प्राथमिकता

यह अनुदान असंबद्ध है, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग स्थल-विशेष आवश्यकताओं के अनुसार किया जा सकता है। मुख्य रूप से इन धनराशियों का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

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  1.  स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखना, घरेलू कचरे का प्रबंधन और विशेष रूप से मानव अपशिष्ट का निपटान सुनिश्चित करना।
  2. पेयजल और जल संरक्षण: गांवों में पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण की व्यवस्था करना।

पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) के माध्यम से इन अनुदानों की सिफारिश की जाती है। वित्त मंत्रालय इन्हें दो किस्तों में जारी करता है। धनराशि का उपयोग वेतन और अन्य प्रशासनिक लागतों को छोड़कर पंचायतों की विकास योजनाओं में किया जाएगा।

यह अनुदान सीधे पंचायतों को वितरित किया जा रहा है, जिससे स्थानीय निकायों को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार कार्य करने का अधिकार मिलता है। इस प्रक्रिया से ग्रामीण प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो रही है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वायत्तता और समग्र विकास को भी बल मिल रहा है।

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