AI आधारित मानसून पूर्वानुमान से 52% तक किसानों की बुवाई रणनीति बदली, सर्वे में खुलासा
19 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: AI आधारित मानसून पूर्वानुमान से 52% तक किसानों की बुवाई रणनीति बदली, सर्वे में खुलासा – भारत सरकार द्वारा मानसून पूर्वानुमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से किसानों के स्तर पर ठोस असर दिखाई देने लगा है। खरीफ 2025 के दौरान लागू किए गए एक AI आधारित पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े सरकारी सर्वे में सामने आया है कि 31 से 52 प्रतिशत किसानों ने बुवाई से संबंधित अपने फैसलों में बदलाव किया।
यह पायलट कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने डेवलपमेंट इनोवेशन लैब–इंडिया के सहयोग से देश के 13 राज्यों के कृषि-प्रधान क्षेत्रों में लागू किया था। इस पहल का उद्देश्य पूरे मौसम का सामान्य अनुमान देने के बजाय स्थानीय स्तर पर मानसून की शुरुआत की सटीक जानकारी उपलब्ध कराना था, क्योंकि यही जानकारी किसानों के लिए खेत की तैयारी और बुवाई की तारीख तय करने में सबसे अहम होती है।
इसके लिए एक ओपन-सोर्स मिश्रित AI मॉडल का उपयोग किया गया, जिसमें गूगल का NeuralGCM, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम और भारत मौसम विज्ञान विभाग के 125 वर्षों के वर्षा आंकड़े शामिल थे। यह मॉडल केवल स्थानीय मानसून आगमन की संभाव्यता का अनुमान देता है, जिससे किसानों को समय पर निर्णय लेने में मदद मिल सके।
इन पूर्वानुमानों को एम-किसान पोर्टल के माध्यम से 13 राज्यों के लगभग 38.8 करोड़ किसानों तक SMS के जरिए पहुंचाया गया। संदेश हिंदी, ओड़िया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी जैसी पांच क्षेत्रीय भाषाओं में भेजे गए, ताकि अधिक से अधिक किसान इन्हें आसानी से समझ सकें। उल्लेखनीय है कि इस पायलट योजना के तहत किसानों को कोई वित्तीय सहायता नहीं दी गई और यह पूरी तरह सूचना आधारित पहल रही।
पूर्वानुमान भेजे जाने के बाद मध्य प्रदेश और बिहार में किसान कॉल सेंटरों के माध्यम से टेलीफोनिक फीडबैक सर्वे किया गया। सर्वे के नतीजों से पता चला कि बड़ी संख्या में किसानों ने खेत की तैयारी और बुवाई के समय में बदलाव किया, जबकि कई किसानों ने फसल चयन और कृषि आदानों के उपयोग से जुड़े फैसलों पर भी पुनर्विचार किया।
इस पायलट योजना और इसके प्रभाव की जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में लिखित उत्तर के माध्यम से दी। बढ़ती जलवायु अनिश्चितताओं के बीच यह पहल दर्शाती है कि AI आधारित मौसम पूर्वानुमान किसानों को बेहतर योजना बनाने और जोखिम कम करने में एक प्रभावी उपकरण बन सकता है, खासकर यदि इसे भविष्य में बड़े पैमाने पर लागू किया जाए।
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