गैर कृषि महाविद्यालयों के कृषि संकाय सवालों के घेरे में
पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले आईसीएआर से परामर्श जरूरी
09 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: गैर कृषि महाविद्यालयों के कृषि संकाय सवालों के घेरे में – कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए देश की शीर्ष संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) है तथा इसके अधीन आने वाले कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र है जो कृषि संकाय के छात्रों को तकनीकी ज्ञान देते हैं। वर्तमान में राज्यों में निजी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में कृषि संकाय खोलने तथा नए कृषि विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रारंभ करने की होड़ सी मची हुई है क्योंकि नई शिक्षा नीति के तहत रोजगार मूलक पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है। आईसीएआर की गाईड लाईन एवं नियमों को ताक पर रखते हुए कृषि पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की भेड़ चाल को लेकर चिंतित आईसीएआर महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कृषि संकाय खोलने से पहले आईसीएआर की सलाह एवं मार्गदर्शन अवश्य लें।
मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत कई नए पाठ्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं। इसमें बीएससी एग्रीकल्चर संकाय पर रुझान ज्यादा है। पहले सत्र में कॉलेज में 50-50 सीटों पर प्रवेश दिए जाएंगे। इसके लिए कॉलेज अपने स्तर पर किसानों से अनुबंध करेंगे और छात्र-छात्राओं को प्रैक्टिकल के लिए खेतों पर ले जाएंगे।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के कृषि सातक पाठ्यक्रम को गैर कृषि महाविद्यालय में संचालित करने के आदेश को लेकर खंडवा कृषि महाविद्यालय के छात्रों ने विरोध किया है। इसके बाद अब प्रदेश भर के कृषि महाविद्यालयों से विरोध के सुर उठने लगे हैं। उनका कहना है कि गैर कृषि महाविद्यालय में इस पाठ्यक्रम को पढ़ाए जाने से विद्यार्थियों का भला नहीं होगा। छात्रों को लैब और फील्ड में प्रैक्टिकल अनुभव अनिवार्य है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि महाविद्यालय में कृषि स्त्रातक फठ्यक्रम को परिषद की नियमावली अनुसार ही संचालित किया जा सकता है। उनका कहना कि अनुसंधान परिषद की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि कृषि अनुसंधान का परिसर होगा। जिसमें कृषि की नवीनतम तकनीक, कृषि के लिए आवश्यक आधुनिक मशीनरी, उन्नत बीजों का विकास एवं कृषि से संबंधित अन्य गतिविधियों की नवीन प्रणाली को स्थापित किया जाएगा। लेकिन गैर कृषि महाविद्यालय में यह सब ही पाना मुश्किल है। नई शिक्षा नीति के तहत अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ में भी गैर कृषि महाविद्यालयों में कृषि स्रातक पाठ्यक्रम लागू करने तथा नए कृषि वि. वि. एवं महाविद्यालय खोलने की कवायद की जा रही है।
उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए तथा कृषि शिक्षा की गुणवता बचाए रखने के उद्देश्य से आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. पाठक ने आपत्ति जताते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर नए कृषि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों की बढ़ती संख्या और कृषि शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंता प्रकट की है। उन्होंने राज्य सरकारों से नए कृषि विश्वविद्यालयों या सार्वजनिक/निजी कृषि महाविद्यालयों की स्थापना से पहले आईसीएआर से परामर्श करने का आग्रह किया। उन्होंने उचित योजना और पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारत में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के मानकों को बनाए रखा जा सके।
कृषि कॉलेज खोलने के नियम
आईसीएआर, जो कषि विश्वविद्यालयों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और मानक तय करने वाली शिखर संस्था है. ने आईसीएआर मॉडल अधिनियम (2023) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 1975 के नियमों का पालन करने के महत्व पर बल दिया। आईसीएआर के गाईड लाईन के मुताबिक कृषि महाविद्यालय 60 सीटों के साथ तथा 15 हेक्टेयर जमीन पर शुरू किया जा सकता है। इसमें 7.5 हेक्टेयर जमीन कॉलेज बिल्डिंग, लैब, हॉस्टल, खेल का मैदान, निवास एवं सड़कों के लिए निर्धारित होती है तथा 7.5 हेक्टेयर भूमि विद्यार्थियों के प्रायोगिक कार्य के लिए उपयोग में लाई जाती है। इन दिशा निर्देशों में कृषि विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक स्टाफ, बुनियादी ढांचा और बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान है, ताकि वे खातक और खातकोत्तर शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित कर सकें।
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