फसल की खेती (Crop Cultivation)कम्पनी समाचार (Industry News)

बायर भारत में रिजेनेरटिव खेती से पहली बार लाएगा कार्बन क्रेडिट

12 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: बायर भारत में रिजेनेरटिव खेती से पहली बार लाएगा कार्बन क्रेडिट – बायर ने एक बड़ी घोषणा की है कि वह भारत के हज़ारों धान किसानों के साथ मिलकर पुनर्जनन (रिजेनेरटिव) खेती, खासकर डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) यानी धान की सीधी बुआई वाली खेती, से तैयार अपने पहले कार्बन क्रेडिट्स को बाजार में लाने जा रहा है। ये क्रेडिट्स 2.5 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2e) के बराबर होंगे, जिन्हें गोल्ड स्टैंडर्ड नाम की संस्था से मान्यता और प्रमाणन मिलेगा। ये संस्था कार्बन बाजार में एक बड़ा नाम है। ये क्रेडिट्स उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होंगे जो पर्यावरण के प्रति सजग हैं और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने, पानी बचाने और छोटे किसानों की मदद करने में योगदान देना चाहती हैं।

बायर का ये राइस कार्बन प्रोग्राम भारत के 11 राज्यों में चल रहा है। पिछले दो सालों में हज़ारों किसानों ने इस नई खेती की तकनीक को अपनाया है। डीएसआर के अलावा वैकल्पिक गीला-सूखा तरीका भी इन क्रेडिट्स को जन्म देने वाली नई तरकीबों में शामिल है। ये पहला मौका है जब बायर एशिया में ऐसी खेती से कार्बन क्रेडिट्स लेकर आया है।

Advertisement
Advertisement

बायर के क्रॉप साइंस डिवीजन के जॉर्ज माज़ेला, जो इकोसिस्टम सर्विसेज के लिए काम करते हैं, कहते हैं, “हमारा राइस कार्बन प्रोग्राम लाखों अच्छे कार्बन क्रेडिट्स पैदा कर रहा है। ये एक बड़ा पायलट प्रोजेक्ट है, और इससे आगे चलकर पूरे इलाके में और भी बड़े काम होंगे। अभी तो ये शुरुआत है, ढेर सारे क्रेडिट्स आने बाकी हैं।” इस प्रोग्राम से किसानों को कम मेहनत, कम पानी और कम खर्चे के साथ ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिल रहा है। ऊपर से, पूरे सीजन में उन्हें फसल की सलाह भी दी जा रही है।

माज़ेला ने आगे बताया, “हमारे लोग खेतों में जाकर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। ये साथ-साथ का सहारा उनकी कामयाबी और खुशहाली का रास्ता बनाता है। यही बात हमारे इस प्रोग्राम को सबसे अलग करती है।”

Advertisement8
Advertisement

पहले के जमाने में धान की खेती का तरीका कुछ ऐसा था कि किसान पहले नर्सरी में पौधे तैयार करते, फिर उन्हें जोते हुए और पानी भरे खेतों में रोपते। ये काम मेहनत वाला था और महीनों तक खेत में पानी भरा रखना पड़ता था। फसल तैयार होने से पहले खेत को सूखा दिया जाता था। आज भी दुनिया का 80 फीसदी धान इसी तरीके से उगाया जाता है।

Advertisement8
Advertisement

बायर का ये प्रोग्राम पुराने रोपाई वाले तरीके को छोड़कर डीएसआर की तरफ ले जाता है, जिससे पानी भरे खेतों में सड़ने वाली चीजों से निकलने वाली मीथेन गैस कम होती है। यूरोपीय आयोग के मुताबिक, मीथेन गैस कार्बन डाइऑक्साइड से 100 साल में 28 गुना और 20 साल में 84 गुना ज्यादा गर्मी रोकती है।

बायर के फ्रैंक टेरहॉर्स्ट, जो रणनीति और स्थिरता के मुखिया हैं, कहते हैं, “डीएसआर एक ऐसी खेती है जो न सिर्फ पर्यावरण को फायदा पहुंचाती है, बल्कि एक खतरनाक गैस को भी कम करती है। इसके पहले कार्बन क्रेडिट्स को देखकर हम खुश हैं। हमारे लिए पुनर्जनन खेती का मतलब है खेतों में बेहतर नतीजे, वो भी ऐसे तरीकों से जो किसानों को फायदा दें, खेती को मजबूत बनाएं और धरती को नुकसान न पहुंचाएं। आगे चलकर ये तरीके किसानों को ज्यादा अनाज उगाने में मदद करेंगे, बिना धरती को थकाए।”

पुनरुत्पादक (रिजेनेरटिव) खेती से मिट्टी की सेहत बेहतर होती है, उसमें जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ती है और कार्बन जमा होने की प्रक्रिया को बल मिलता है। जब मिट्टी स्वस्थ होती है, तो वो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड खींचकर अपने अंदर समेट लेती है – यानी एक तरह से वो कार्बन को ज़मीन में बंद कर देती है। जब किसान ऐसे तरीके अपनाते हैं जिससे ये कार्बन सीधे मिट्टी, पेड़ों या पौधों में जमा होता है, तो उसी के आधार पर कार्बन क्रेडिट्स बनते हैं।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement