बेयर ने पुनर्योजी कृषि के लिए भारत में अपनी वैश्विक पहल फॉरवर्डफार्म लॉन्च की
13 सितम्बर 2024, पानीपत: बेयर ने पुनर्योजी कृषि के लिए भारत में अपनी वैश्विक पहल फॉरवर्डफार्म लॉन्च की – बायर ने अपनी वैश्विक पहल ‘बायर फॉरवर्डफार्मिंग’ को भारत में लॉन्च किया है। यह दुनिया भर में 29 फॉरवर्डफार्म में से सबसे नया है। हर फॉरवर्डफार्म टिकाऊ कृषि के आदर्शों का केंद्र बनता है, जहां किसान, शोधकर्ता और संबंधित पक्ष मिलकर ज्ञान साझा कर सकते हैं। भारत में लॉन्च की गई यह पहल विशेष रूप से 150 मिलियन छोटे किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिसमें खास जोर टिकाऊ धान की खेती और पुनर्योजी कृषि पर है।
धान की सीधी बुआई: पुनर्योजी कृषि की एक समग्र दृष्टि
बायर के लिए पुनर्योजी कृषि एक परिणाम-आधारित मॉडल है, जिसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की सेहत को सुधारना है। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन से निपटना, जैव विविधता को बनाए रखना या बहाल करना, जल संरक्षण और उत्पादन में वृद्धि करना प्रमुख उद्देश्य हैं। इन पुनर्योजी कृषि पद्धतियों का अंतिम लक्ष्य किसानों और उनके समुदायों की आर्थिक और सामाजिक भलाई को बेहतर बनाना है।
भारत में धान की खेती में पुनर्योजी कृषि की संभावनाएं काफी अधिक हैं, क्योंकि यह दुनिया में धान का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। बायर की धान की सीधी बुआई(DSR) प्रणाली पुनर्योजी कृषि का सबसे व्यापक उदाहरण है, जिसमें मिट्टी की सेहत सुधारने, जल उपयोग को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति खेती की सहनशीलता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
पारंपरिक धान रोपाई से हटकर डीएसआर अपनाने से किसान जल उपयोग को 30-40% तक और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 45% तक कम कर सकते हैं। इसके अलावा, मैन्युअल श्रम पर निर्भरता भी 40-50% तक घट सकती है। अकेले भारत में, 2040 तक डीएसआर प्रणाली अपनाने से CO² उत्सर्जन में प्रति वर्ष 82 मिलियन टन की कमी और जल उपयोग में 167 बिलियन क्यूबिक मीटर की कमी हो सकती है। यह प्रणाली किसानों को अधिक उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करती है।
बायर का ‘डायरेक्टएकर्स’ प्रोजेक्ट
बायर अपने ‘डायरेक्टएकर्स’ प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को सर्वोत्तम बीज, फसल सुरक्षा, डिजिटल उपकरण, मशीनीकरण सेवाएं और कृषि समाधान प्रदान कर रहा है। यह प्रोजेक्ट सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए किसानों को पुनर्योजी दृष्टिकोण के साथ मुनाफा कमाने में मदद कर रहा है।
पिछले साल, भारत के 5,000 किसानों ने डायरेक्टएकर्स कार्यक्रम के तहत 8,600 हेक्टेयर भूमि पर सफलतापूर्वक सीधी बुवाई धान की खेती की। बायर 2030 तक इस कार्यक्रम के जरिए 10 लाख छोटे किसानों को समर्थन देने का लक्ष्य रखता है। इसके अलावा, अन्य एशियाई देशों में भी इस कार्यक्रम को शुरू करने की योजना है, जिसकी शुरुआत फिलीपींस से होगी।
स्थानीय कृषि के लिए अनुकूल समाधान
भारत में पहले बायर फॉरवर्डफार्म पार्टनर, वेद प्रकाश सैनी ने कहा, “मैं आशान्वित हूं कि बायर फॉरवर्डफार्मिंग के जरिए लाई गई पुनर्योजी कृषि तकनीकें मेरी उपज और आजीविका में महत्वपूर्ण सुधार लाएंगी, जबकि खेती को अधिक टिकाऊ बनाएंगी। सीधी बुवाई धान जैसी तकनीकों और उन्नत प्रौद्योगिकी के जरिए फसल की सेहत में सुधार, जल उपयोग में कमी और दक्षता में वृद्धि संभव है।”
भारत में बायर फॉरवर्डफार्म की विशेषताएं
भारत में 18 हेक्टेयर में फैले इस बायर फॉरवर्डफार्म में विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए डिज़ाइन की गई उन्नत तकनीक और टिकाऊ कृषि हस्तक्षेपों का समावेश किया गया है। इसमें शामिल हैं:
- सीधी बुवाई धान प्रणाली (DSR): पारंपरिक धान खेती का एक टिकाऊ विकल्प जो मिट्टी की सेहत को सुधारता है और जल उपयोग को कम करता है।
- उन्नत खरपतवार प्रबंधन: ऐसी रणनीतियां जो रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करती हैं और फसल की सेहत को बनाए रखती हैं।
- कस्टमाइज्ड कृषि प्रणाली: विविध जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी के प्रकारों के लिए अनुकूलित समाधान, जो उपज और मिट्टी की सेहत को बढ़ाते हैं।
- कार्बन खेती: मिट्टी में कार्बन को संग्रहीत कर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने वाली पद्धतियां।
- पोषण और जल प्रबंधन: उन्नत तकनीकें जो पोषक तत्वों के उपयोग और जल की दक्षता को बढ़ाती हैं, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है।
- वर्मी कम्पोस्ट और IoT: मिट्टी की सेहत को सुधारने के लिए वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग और IoT तकनीकों के जरिए कृषि प्रक्रियाओं की सटीक निगरानी।
- सिंचाई और ड्रोन तकनीक: जल उपयोग को अनुकूलित करने और फसल प्रबंधन में सुधार लाने के लिए सिंचाई और ड्रोन तकनीक का उपयोग।
बायर का दृष्टिकोण
बायर साउथ एशिया के अध्यक्ष, साइमन वीबस्च ने कहा, “हम भविष्य की एक पुनर्योजी कृषि की कल्पना करते हैं जो पर्यावरण को बहाल और बेहतर करती है। भारत में बायर फॉरवर्डफार्मिंग की शुरुआत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम किसानों को टिकाऊ खेती के समाधान, आधुनिक उपकरण और साझेदारी के जरिए सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि उत्पादकता बढ़े, गुणवत्ता सुधरे और पर्यावरण संरक्षित हो।”
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