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खरपतवारों से 11 बिलियन डॉलर मूल्य का नुकसान

1 जनवरी 2023, जबलपुर । खरपतवारों से 11 बिलियन डॉलर मूल्य का नुकसान – विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों में खरपतवारों से होने वाले भारी नुकसान से निपटने के लिए और भविष्य की खरपतवार प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा करने के उद्देश्य से इंडियन सोसाइटी ऑफ वीड साइंस, भा.कृ.अनु.प.-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर और आनंद कृषि  विश्वविद्यालय, आनंद, गुजरात के संयुक्त तत्वावधान में  गत दिनों आनंद कृषि  विश्वविद्यालय, गुजरात में तीसरे अंतर्राष्ट्रीय खरपतवार सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय ‘खरपतवार की समस्याएं और प्रबंधन चुनौतियां: भविष्य के परिप्रेक्ष्य’ था। इसमें चर्चा हेतु देश-दुनिया से लगभग 500 प्रतिनिधि शामिल हुए।

सम्मेलन के उद्घाटन  सत्र के अध्यक्ष डॉ. केबी कथीरिया, कुलपति, आनंद कृषि  विश्व विद्यालय, आनंद एवं मुख्य अतिथि डॉ. हिमांशु  पाठक, सचिव, डेयर, भारत सरकार व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली तथा डॉ. एस.के. चौधरी, उपमहानिदेशक, प्रा.सं.प्र., भा.कृ.अनु.प., डॉ. समंदर सिंह, अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ वीड साइंस , यू.एस.ए. और प्रो. योशीहारू फूजी, टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, टोक्यो, जापान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डॉ. जे. एस. मिश्र, सचिव, इंडियन सोसाइटी ऑफ वीड साइंस  व  निदेशक, खरपतवार अनुसंधान  निदेशालय, जबलपुर ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इंडियन सोसाइटी ऑफ वीड सांइस के अध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार ने भी सत्र के दौरान श्रोताओं को संबोधित किया। मुख्य अतिथि डॉ. हिमांशु पाठक ने  फसलों और फसल प्रणाली में खरपतवारों के महत्व  के साथ ही खरपतवार की गतिशीलता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि खरपतवार प्रबंधन में आधुनिक उपकरणों और तकनीकों को विकसित करने में पारंपरिक ज्ञान को शामिल करने की  आवश्यकता है। डॉ. एस.के. चौधरी ने फसल उत्पादन पर खरपतवारों के प्रभाव, लगभग 11 बिलियन यूएस डॉलर की उपज हानि, शाकनाशी प्रतिरोध, कीटनाशक अवशेष, जैविक और प्राकृतिक खेती और संरक्षण कृषि में खरपतवार वनस्पतियों के बदलाव पर प्रकाश  डाला।

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डॉ. त्रिलोचन महापात्र पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपने मुख्य भाषण में सामान्य रूप से कृषि और विशेष रूप से खरपतवार प्रबंधन की समस्याओं पर रोशनी डाली। सत्र के दौरान कई खरपतवार वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

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