उद्यानिकी (Horticulture)

सब्जियों में पादप वृद्धि नियामकों का उपयोग

पीसीपीए (पेरा क्लोरो फिनॉक्सी एसिटिक एसिड):-

  • टमाटर की फसल में मुख्यत: इसका उपयोग किया जाता है। टमाटर में पौधों में 50-100 पीपीएम मात्रा का छिड़काव करने से तापमान कि प्रतिकूल दशाओं में भी फलन को बढ़ाता है।

2,4- डी (2,4- डाईक्लॉरो फिनॉक्सी एसिटिक एसिड ):-

Advertisement
Advertisement
  • टमाटर के बीजों को 2,4-डी की 2-5 पीपीएम मात्रा से उपचारित करने से पुष्पन शीघ्र होता है एवं अनिशेक फलन को प्रेरित करता है।
  • बैंगन में प्रथम फूल दिखाई देने के बाद 2,4- डी की 2 पीपीएम मात्रा का छिडकाव करने से फल जल्दी आते हैं एवं उत्पादन बढ़ता है।

एनएए (नेफ्थिलिक एसिटिक एसिड ):-

  • यह बाजार में प्लानोफिक्स के नाम से मिलता है।
  • यह मिर्च टमाटर एवं बैंगन में पुष्पन एवं फलन में वृद्धि करता है।
  • भिन्डी के बीजों को एनएए की 50 पीपीएम मात्रा से उपचारित करने से अंकुरण में वृद्धि होती है।
  • तोरई में प्रारम्भिक अवस्था में एनएए की 25-100 पीपीएम मात्रा का छिडकाव करने से मादा फूलों की संख्या में वृद्धि होती है।

आईएए (इन्डोल एसिटिक एसिड):-

Advertisement8
Advertisement
  • भिन्डी के बीजों को आईएए की 20 पीपीएम मात्रा से उपचारित करने से अंकुरण में वृद्धि होती है।
  • तोरई में प्रारम्भिक अवस्था में एनएए की 20-200 मात्रा का छिडकाव करने से मादा फूलों की संख्या में वृद्धि होती है।

जीए 3 (जिबरेलिक एसिड) :-

Advertisement8
Advertisement
  • मिर्च के पौधों पर जीए3 की 10-100 पीपीएम मात्रा का छिड़काव करने से पुष्पन एवं फलन में वृद्धि होती है।
  • जीए की 1500-2000 पीपीएम मात्रा का छिड़काव गायनोसियस खीरा में पर पुष्पों को प्रेति करता है।
  • जीए 3 की 50 पीपीएम मात्रा का उपयोग कर आलू में कन्दों की सुशुुप्ता अवस्था को तोड़ा जाता है।
  • मटर में जीए 3 का 50 पीपीएण की दर से छिड़काव करने से उत्पादन में वृद्धि होती है।

टीआईबीए (ट्राई आयोडो बेन्जोईक एसिड):-

  • तरबूज में दो से चार पत्तियों की अवस्था में टी आई.बी.ए.का 25-250 पीपीएम की दर से छिड़काव करने से मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि होती है।
    ईथ्रेल:-
  • खरबूजा एवं खीरा के पौधों पर प्रारम्भिक अवस्था में ईथ्रेल की 150-200 पीपीएम मात्रा का छिड़काव करने से मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि होती है।
    सिल्वर नाइट्रेट :-
  • इसका का उपयोंग खीरा एवं खरबूजें की गायनोसियस किस्मों में नर पुष्पों को प्रेरित करने के लिए किया जाता हैं।
    मैलिक हाइड्रेजाईड :-
  • करेले के पौधों पर की 150-200 पीपीएम मात्रा का छिड़काव करने से मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि होती है।
  • प्याज में खुदाई के 15 दिन पहले 1500-2000 पीपीएम घोल का छिड़काव करके भण्डारण के समय स्फुटन को रोका जा सकता है।
  • यह आलू में स्फुटन को रोकता है।
    ईथेफॉन:-
  • ईथेफॉन का उपयोग कद्दू में संकर बीज उत्पादन में किया जाता है। ईथेफॉन की 600 पीपीएम मात्रा का छिड़काव करने से कद्दू के पौधों में केवल मादा पुष्प आते है।
    सी.सी.सी.- द्य मटर में इसका 50 पीपीएम की दर से छिड़काव करने से सूखे के प्रति सहनशीलता बढ़ती है।
  • यह करेले में मादा की संख्या बढ़ाता है।
    क्लोरोप्रोफेम :-
  • इस का उपयोग भण्डार में 25 पीपीएम प्रति टन आलू की दर से आलू में स्फुटन को रोकने में किया जाता है।
  •  रुपाली पटेल
    email : roopalipatel847@gmail.com
Advertisements
Advertisement5
Advertisement