Horticulture (उद्यानिकी)

पारम्परिक बीजों के संरक्षण के लिये बीज बचाओ-कृषि बचाओ यात्रा

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(विशेष प्रतिनिधि)

भोपाल। प्रदेश की भूली-बिसरी किस्मों एवं प्रजातियों के संरक्षण के लिये म.प्र. राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं कृषि विभाग द्वारा बीज बचाओ कृषि बचाओ यात्रा गत 2 मई से प्रारंभ की गई है जो 35 जिलों का भ्रमण कर 27 जून को भोपाल में ही समाप्त होगी। यात्रा का शुभारंभ बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. आर.श्री निवास मूर्ति ने किया।
प्रदेश के ऐसे क्षेत्र जहां आज भी पारम्परिक किस्मों की खेती की जाती है उनकी पहचान कर इस कार्य को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बीज बचाओ कृषि बचाओ यात्रा प्रारंभ की गई है। बोर्ड के मुताबिक 55 दिन की इस यात्रा में विभिन्न जिलों में चौपाल लगाकर किसानों से चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में धान, कोदो, कुटकी, सांवा, ज्वार, मक्का, सोयाबीन, गेहूं आदि अनेक फसलें ली जाती है परंतु वर्तमान में कृषि पद्धतियों में बदलाव के कारण कई विशेष पारम्परिक किस्में जैसे चावल की जीराशंकर, विष्णु भोग, चिन्नौर, गेहूं की कठिया, अरहर की बैगानी राहर, देशी सब्जियां फलों की खेती लगातार कम होती जा रही है। तथा इनके बीज भी लुप्त होते जा रहे हैं। इस यात्रा में ऐसी किस्मों का संरक्षण किया जाएगा।
प्रदेश के संचालक कृषि श्री मोहन लाल ने बताया कि राज्य में  विलुप्त होती दुलर्भ किस्मों के संरक्षण की जैव विविधता बोर्ड द्वारा की गई पहल सराहनीय है। कृषि विभाग इसमें पूरा सहयोग दे रहा है। उन्होंने बताया कि जिलों में उपसंचालक कृषि को चौपाल में कृषकों की उपस्थिति तथा परम्परागत बीजों से खेती करने वाले किसानों की जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उनसे कहा गया है कि किसानों की सूची, फसल एवं किस्म की जानकारी अवश्य लें। संचालक कृषि ने बताया कि जलवायु परिवर्तन में कारण अब फल, सब्जी एवं अनाज की पारम्परिक किस्में मुख्यत: आदिवासी क्षेत्र में उपलब्ध होने की संभावना है। इसे देखते हुए बीजों को एकत्रित कर उनका दस्तावेजीकरण करना, साथ ही किसानों को जागरूक करना जरूरी है।

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