केला उत्पादन में योगेश कारोले का कमाल
- (विशेष प्रतिनिधि)
22 जून 2022, इंदौर । केला उत्पादन में योगेश कारोले का कमाल – पिछले दो कोरोनाकाल ने किसानों के सामने संकट पैदा कर दिया और कई किसान अपनी उपज नहीं बेच पाए थे। ऐसे में बड़वानी जिले के नर्मदा क्षेत्र के किसानों ने बारह मास ली जाने वाली केले की फसल पर ध्यान केंद्रित किया और अच्छा उत्पादन लिया। बड़वानी जिले की ठीकरी तहसील के ग्राम चिचली के किसान श्री योगेश कारोले ने 14 इंची लम्बा केला उत्पादित कर सबको चौंका दिया है। जानते हैं 25 वर्षों से केले की खेती करने वाले इस किसान की सफलता की कहानी। श्री योगेश कारोले ने कृषक जगत को बताया कि 19 वर्ष की आयु में पिताजी के निधन के बाद 1996 से खेती कर रहा हूँ। पहले पिताजी पारम्परिक तरीके से केले की खेती करते थे, लेकिन वे गत 10-12 वर्षों से टिश्यू कल्चर से पौधे तैयार कर 30 एकड़ में केले की खेती करते हैं। राइज एंड शाइन और जैन इरिगेशन के टिश्यू कल्चर से पौधे तैयार किए जाते हैं। पिछले वर्ष 23 जून को प्लांटेशन किया था, जिनकी हार्वेस्टिंग की जा रही है।
उन्नत तकनीक से केला उत्पादन की प्रेरणा वरिष्ठ केला विशेषज्ञ श्री केबी पाटिल के सेमिनार में शामिल होने से मिली। गत वर्ष जून-अगस्त की अवधि में जी-9 किस्म के पौधों से 700 क्विंटल/हेक्टेयर का उत्पादन मिला था। साल भर केले का उत्पादन मिलता रहता है। औसतन प्रति एकड़ 35 टन केला उत्पादित हो जाता है। कोरोना काल में केले में नुकसान होने से किसानों ने इससे दूरियां बना ली थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं, दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। अभी 1800 से 2000 रूपए प्रति क्विंटल का भाव है, लेकिन माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
श्री कारोले ने बताया कि निमाड़ का केला हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के अलावा विदेशों में भी जाता है। केला फसल में जैविक रसायन, बैक्टेरिया, गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है, रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग संतुलित होता है, लेकिन रासायनिक फंजीसाइड का प्रयोग बिल्कुल नहीं करते हैं। एक केले की लम्बाई औसतन 9-10 इंच की होती है, लेकिन उनके खेत में उत्पादित केले की लम्बाई 14 इंच से भी अधिक है, इसीलिए चिचली चर्चा में आ गया है। केले की फसल से योगेश को दौलत और शोहरत दोनों मिल रही है।
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