संपादकीय (Editorial)

गर्मियों की जुताई से मिटटी में पानी धारण की क्षमता बढ़ती है

7 मई 2021, भोपाल । गर्मियों की  जुताई से  मिटटी में पानी धारण की क्षमता बढ़ती है – कृषि विज्ञान केन्द्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी. एस. किरार एवं वैज्ञानिक डॉ यू.एस. धाकड़ ने बताया कि गहरी जुताई से जल, वायु और मिटटी में सुधार होता है और मिटटी में पानी धारण करने की क्षमता बढ़ती है । खेत की कठोर परत को तोड़कर मिटटी को जड़ो के विकास के अनुकूल बनाने के लिए ग्रीष्मकालीन जुताई लाभदायक होती है। जुताई से खेत में उगे खरपरतवार और फसल अवषेष मिटटी में दबकर सड़ जाते है, जिससे मिटटी में जीवांष की मात्रा बढ़ जाती है। फलस्वरूप मृदा जैविक पदार्थ का अपघटन तीव्रगति से होने के कारण अगली फसल को पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है।

खेत में ढलान के आर-पार जुताई करने से ढलान की निरन्तरता में रूकावट आती है जिसे वर्षा जल से मिटटी कटाव नही होता। पिछली फसल के ठूॅंठो, खरपरतवारों में तथा मिटटी की सतह के नीचे बहुत से कीट गर्म मौसम में आश्रय लेते है। गर्मी की गहरी जुताई में मिटटी के पलटने से सूर्य की तेज किरणें मृदा में प्रवेष करके इन मृदा जनित कीटों, उनके अंडो, सूॅंडी, प्यूपा को नष्ट कर देती है या खुले में आने से पक्षियों द्वारा खाकर नष्ट कर दिये जाते है और अगली फसल में इन कीटों द्वारा फसल को कम नुकसान होता है तथा उनके प्रबन्धन पर होने वाले खर्च की बचत होती है। गहरी जुताई से खरपतवार तथा उनकी गॉंठे उखड़कर ऊपर आ जाती है और तेज धूप में सूखकर मर जाते है ।

 

 

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