संपादकीय (Editorial)

सही दाम ही किसानों की समस्या का समाधान

31 मार्च 2022, सही दाम ही किसानों की समस्या का समाधान – देश का किसान दशकों से सूखे, भूमि के गिरते पानी के स्तर, लागत की तुलना में उत्पादकता न होना, हर वर्ष फसल लागत का बढऩा आदि समस्याओं से जूझ कर खेती कर रहा है। इसके बाद भी यदि उसे उसके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पाता तो उसे निराशा ही हाथ लगती है। इस पर यदि फसल को मौसम की मार लग गयी तो उसे फसल की लागत भी नहीं मिल पाती है। जिससे वह फसल उत्पादन में लिए गये कर्ज को वापस देने की स्थिति में भी नहीं रहता। यह स्थिति देश के सभी किसानों की है। देश का दुर्भाग्य है कि खेती ही ऐसा धंधा है जिसमें उत्पादक अपने उत्पाद का मूल्य स्वयं तय नहीं करता न ही उपभोक्ता करता है बल्कि बिचोलिये पूरा खेल खेलते हैं। कुछ वर्षों पूर्व महाराष्ट्र के नासिक क्षेत्र के किसानों से 167 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय कर मुम्बई के आजाद मैदान पहुंच कर अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया था। कर्ज माफी के अतिरिक्त उनकी मुख्य मांग फसल का उचित मूल्य मिलने की थी। वे चाहते थे कि उन्हें फसल लागत के ऊपर कम से कम 50 प्रतिशत अधिक मूल्य मिले।

यदि किसान को यह मूल्य निश्चित रूप से मिले तो आने वाले समय में वे कर्ज माफी की अपनी मांग को सरकार के सामने नहीं रखेंगे। परन्तु फसल लागत की गणना में पारदर्शिता होनी चाहिए। किसान तथा उसके परिवार के सदस्यों द्वारा फसल उत्पादन में दिये गये समय का मूल्यांकन ईमानदारी से होना चाहिए। किसान का श्रम का मूल्यांकन एक मजदूर के रूप में न होकर एक प्रबंधक के रूप में होना चाहिए। तभी देश के किसान को आत्मसम्मान मिल पायेगा व उसके जीवन स्तर में कुछ सुधार हो पायेगा। देश की लगभग आधी जनसंख्या खेती पर निर्भर रहती है। जब तक इस पचास प्रतिशत जनसंख्या समृद्ध नहीं होगी तब तक देश समृद्ध नहीं हो सकता। इस जनसंख्या का जीवन स्तर फसल की उत्पादकता तथा उसके मूल्यों से जुड़ा हुआ है। इसमें किसी भी कारण से आई गिरावट किसानों के जीवन को प्रभावित कर आन्दोलन को जन्म देगी।

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