Editorial (संपादकीय)

सर्दियों में स्वस्थ रहने के सूत्र

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सर्दियोंं को स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अनुकूल मौसम माना जाता है। इस सीजन में पाचन शक्ति काफी मजबूत रहती है, भूख बढ़ती है, संक्रमण फैलाने वाले वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं तथा व्यक्ति तुलनात्मक रुप से अधिक स्वस्थ रहता हैं लेकिन सर्दियां हृदय, अस्थमा, जोड़-हड्डी तथा एलर्जी के रोगियों के लिये कई चुनौतियां पैदा करती है जिनका इस मौसम में खास ध्यान रखने की जरुरत होती है। सर्दियों में रक्त धमनियां सिकुडऩे के कारण सर्वाधिक हृदयघात होते हैं। सर्दी को सबसे अधिक स्वास्थ्यकारी मौसम कहा जाता है। यहां सर्दियों में स्वस्थ रहने के सात नुस्खे दिये जा रहे है जिनका अनुसरण कर शरद ऋतु का पर्याप्त आनन्द लिया जा सकता है।

वार्म ड्रेसअप – इस मौसम में कभी सर्दी कम तो कभी ज्यादा होती है। इस लिये कपड़े पहनने में लापरवाही न करें। सर्दी कम रहने पर भी गर्म कपड़े से परहेज न करें। सिर, हाथ तथा पैरों को कवर करने का खास ख्याल रखें क्योंकि शरीर में ठण्ड का प्रकोप सबसे पहले सिर, पैर, नाक,छाती व कान से शुरू होता है।

गरम भोजन व पेय – भारतीय परम्पराओं व रीति-रिवाजों में मौसम के हिसाब से खान-पान निर्देशित है। सर्दियों में शीतल पेय, आइसक्रीम, दही की लस्सी आदि ठण्डे पदार्थों को सेवन पूरी तरह से त्यागना चाहिए। इसके स्थान पर कॉफी, दूध, छाछ, सूप, हलवा आदि ऊर्जावान खाद्य व पेय पदार्थों का सेवन करें।
लहसुन एक औषधीय पदार्थ है- जिसके प्रयोग से छोटी-बड़ी बीमारी में लाभ होता है। लहसुन का नियमित सेवन हृदय व एलर्जी के रोगियों के लिये अमृत समान लाभकारी है। लहसुन में पाया जाने वाला सल्फाइड्स रक्तचाप कम करने में मदद करता है। लहसुन वायरस और बैक्टीरिया से लडऩे के लिये भी ऊर्जा प्रदान करता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लडऩे में मदद करते हैं। यह सर्दी, जुकाम और कफ समस्या का कारगर इलाज है। यह एक चमत्कारिक गुणों वाली औषधि है। सर्दियों में मेथी दाने का नियमित इस्तेमाल अस्थमा, गठिया, एसिडिटी, कफ आदि की कारगर औषधि है। मेथी रक्त ग्लूकोज और कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करती है। डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारक माना गया है।

मदिरा से परहेज – कुछ लोग सर्दी से बचने के लिये मदिरा का सहारा लेते हैं लेकिन ध्यान रखें कि मदिरा पी कर कभी भी बाहर नहीं घूमना चाहिए। मदिरा से शरीर में गरमाहट आती है परन्तु खुले में घूमने पर शरीर का तापमान असामान्य हो सकता है जो किसी बड़े स्ट्रोक का कारण बन सकता है

नियमित शरीर की सफाई – सर्दियों में लोग नहाने से बचते हैं। पानी से दूरी बनाये रखते हैं। जबकि इस मौसम में गुनगुने पानी से हर दिन स्नान करना चाहिए। इससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। सर्दियों में शरीर की उपरी त्वचा का तापमान ठण्डा व अन्दरुनी गरम रहता है। सर्दियों में रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं। स्नान से त्वचा चेतन होती है तथा बैक्टीरिया से मुक्ति मिलती है। गर्म पानी में तुलसी के पत्ते, अजवायन, मेथी आदि पका कर स्नान करने से त्वचा खुश्क व मुरझाती नहीं हैं।

खुली हवा से बचें- सर्दियों की हवा में नमी का प्रवाह रहता है। ठण्डी हवा के संपर्क में आने से छाती का जल कफ के रुप में जम जाता है। इससे छाती, गले तथा नाशिका में संक्रमण फैलता है। जिसे जुकाम व नजला कहते हैं। इसके कारण बुखार, निमोनिया तथा ख्ंाासी हो जाती है। इससे बचने के लिसे जरुरी है कि खुली हवा के सम्पर्क में आने से जितना बचा जाये उतना ही अच्छा है।

व्यायाम करें, चुस्त रहें – सर्दियों में निष्क्रियता सबसे खतरनाक होती है। इस मौसम में खूब शारीरिक परिश्रम करना चाहिए तथा नियमित व्यायाम करें। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास होता है तथा वातावरण में फैले बैक्टीरिया से लडऩे की शक्ति मिलती है। सर्दियों में अधिकांश लोग घरों के अन्दर दुबक कर बैठे रहते हैं जिससे उनको भोजन पचाने में कठिनाई हो सकती है। यही नहीं इस मौसम में सर्वाधिक गरिष्ठ पदार्थों का सेवन किया जाता है जिसके कारण पेट बाहर आ जाता है।

धूप का भरपूर आनन्द लें – सर्दियों की धूप वैसे भी काफी सुहावनी लगती है। धूप से विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलता है जो त्वचा के लिये सबसे अनुकूल आहार है। धूप से सुस्त पड़ी त्वचा को ऊर्जावान आहार मिलता है। इस लिये सुबह उगते सूर्य की किरणों का भरपूर आनन्द लेना नहीं भूलें।
इससे जहां मन को सुकून मिलता है वहीं शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है। सर्दियों में अधिक समय तक अंधेरे में नहीं रहना चाहिए। इससे हमारा इम्यून सिस्टम बिगड़ सकता है।

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