Editorial (संपादकीय)

जरूरी है समय से कृषि आदान

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जरूरी है समय से कृषि आदान

जैसा कि पूर्व में लिखा जा चुका है खेती एक निरन्तर क्रिया है। खरीफ गया, रबी आया और रबी के बाद जायद। कृषि की इसी निरन्तरता में खरीफ आदानों की व्यवस्था की जाना जरूरी है, क्योंकि शीघ्र ही मानसून सक्रिय होने वाला है, जो नजदीकी ग्रामीण क्षेत्र जो सड़कों से जुड़े हैं वहां सड़क भी नहीं है वहां समय से आदान पहुंचना जरूरी है क्योंकि फिर कीचड़ भरे मार्ग से भारी कठिनाईयों का सामना करना होता है। फिलहाल जो हल्की-फुल्की वर्षा हुई है उसे तो एक वरदान ही समझना होगा।

थोड़ी सी नमी पाकर खेतों में छुपे खरपतवारों के बीज अंकुरित होकर अपना अस्तित्व बताने लगते है यही समय है कि खेतों में बखर चलाकर अंकुरित खरपतवारों को मिट्टी में मिला दें इस एक तीर से दो शिकार संभव हैं एक भविष्य में खरपतवारों की समस्या से कुछ निजाद मिल सकेगी और दूसरा खेतों को मुफ्त में जैविक खाद मिल जायेगी जो आदान की क्रिया का एक अंग होगा जैविक खाद की प्राप्ति। दूसरे आदानों में खेती में लगने वाले यंत्रों जैसे बखर,हल,सिंचाई यंत्रों तथा बुआई यंत्रों का रखरखाव करके पूर्ण रूप से तैयार करें।

बुआई के लिये ट्रैक्टर का रखरखाव, खाद, बीज सभी अच्छी तरह से सफाई करके तैयार रखें यहां तक की पौध संरक्षण उपायों के लिये उपलब्ध स्प्रेयर, डस्टर की साफ-सफाई तथा उसमें लगने वाले छोटे परंतु महत्वपूर्ण हिस्सों के अतिरिक्त कलपुर्जे का भी इंतजाम यदि करके रखा जाये तो समय पर परेशानी नहीं होगी बल्कि भाग-दौड़ कम होगी क्योंकि पौध संरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जिसमें यदि देरी की गई तो फिर चाहकर भी आपेक्षिक लाभ मिलना मुश्किल होगा। खाद, उर्वरक के साथ अच्छे बीज का भी इंतजाम जरूरी होगा। खेती में बुआई के बीज की व्यवस्था नहीं की गई हो तो बाकी सब प्रयास बेकार सिद्ध होंगे। खेती को कीट-रोग से बचाने के लिये पौध संरक्षण दवाओं का भी इंतजाम आप का ही कार्य है। विशेषकर बीजोपचार के लिये फफूंदनाशी, कीटनाशी तथा अन्य जरूरत की सामग्री को भी कृषि आदान का मुख्य हिस्सा माना जाये।

अक्सर होता यह है कि प्यास लगे तब कुआं खोदने की तैयारी यह बात कृषि में बिल्कुल नहीं चलती है, इस कारण सभी तैयारियां बरसात के पहले ही कर लेना जरूरी होगा। जिस तरह हर घर में बरसात के पहले आटा, बेसन, मसाला सहित अन्य आवश्यक सामग्री जो भोजन के लिये आवश्यक है पहले से ही तैयार कर ली जाती है, ठीक उसी प्रकार खेती में लगने वाले सभी आदानों की पूर्व व्यवस्था एक विवेक पूर्ण कदम होगा। शासन द्वारा भी इस कार्य में पूरा-पूरा सहयोग किया जाता है। गांवों में निश्चित स्थानों पर खाद, बीज, पौध संरक्षण, दवाओं के इंतजाम के लिये एक ठोस कार्यक्रम तैयार किया जाकर उस पर अमल भी किया जाता है।

सहकारिता विभाग ने इस कार्य को करने के उद्देश्य से मैदानी कर्मचारियों का इंतजाम भी कर रखा है ताकि प्रमुख आदानों की उपलब्धि में कोई कोर-कसर नहीं हो पाये। ध्यान रहे समय का महत्व शायद सिर्फ कृषकों के लिये ही है क्योंकि डाल का चूका बंदर और समय चूका कृषक दोनों अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल हो जाते है इसलिये समय से आदानों की व्यवस्था करें और निश्चिंत हो जायें।

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