गेहूँ की पत्तियों पर दिखा पीला पाउडर? तुरंत करें ये उपाय, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान
16 दिसंबर 2024, अजमेर: गेहूँ की पत्तियों पर दिखा पीला पाउडर? तुरंत करें ये उपाय, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान – रबी के मौसम में गेहूँ की फसल पर कई तरह के कीट और रोग हमला करते हैं, जिनमें से ‘पीली रोली’ रोग प्रमुख है। यह रोग फसल की पत्तियों को पीले रंग के पाउडर से ढक देता है, जिससे पौधों की वृद्धि पर गहरा असर पड़ता है। किसानों के हित में राजस्थान कृषि विभाग ने इस रोग के प्रबंधन के लिए परामर्शिका जारी की है।
पीली रोली रोग: कैसे पहचाने और कितना खतरनाक है यह रोग?
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा के अनुसार, पीली रोली रोग की पहचान पत्तियों पर पीले-नारंगी रंग की धारियों और छोटे पीले बिंदुनुमा फफोलों से होती है। ये फफोले धीरे-धीरे पूरी पत्ती को ढक लेते हैं और पत्ती पीले पाउडर जैसी दिखने लगती है। संक्रमित पत्तियों को छूने पर हाथ और कपड़ों पर पीला पाउडर लग जाता है। शुरू में यह रोग खेत में 10-15 पौधों के छोटे समूह में दिखाई देता है, लेकिन धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है। ठंडा और नम मौसम, जैसे 6 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान, वर्षा, उच्च आर्द्रता, ओस और कोहरा इस रोग के फैलाव के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।
पीली रोली रोग से बचाव और प्रबंधन के लिए कृषि विभाग की सिफारिशें
कृषि विभाग ने किसानों को इस रोग से फसल को बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। सबसे पहले, खेत में जल जमाव से बचने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग न करने की सलाह दी गई है क्योंकि यह रोग के प्रसार को बढ़ावा दे सकता है। विभागीय सिफारिशों के अनुसार ही उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।
जनवरी और फरवरी के महीनों में फसल की नियमित निगरानी करना बेहद जरूरी है। किसी भी पत्तियों पर पीलापन दिखने पर तुरंत संबंधित पादप रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें। कभी-कभी पत्तियों का पीलापन अन्य कारणों से भी हो सकता है, इसलिए सही रोग की पहचान आवश्यक है।
रोग की पुष्टि और सरकारी सहायता
यदि जांच के बाद पुष्टि होती है कि गेहूँ की फसल में पीली रोली रोग का प्रकोप है, तो संक्रमित पौधों के समूह को एकत्रित कर नष्ट कर देना चाहिए। इसके साथ ही, विभागीय सिफारिशों के अनुसार, खड़ी फसल में कवकनाशी रसायनों का छिड़काव करना चाहिए। मौसम साफ होने पर ही छिड़काव करना चाहिए ताकि फसल पर रसायन का अधिक प्रभाव पड़े।
अगर रोग का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक हो जाता है, तो सरकार किसानों को सहायता के रूप में अनुदान पर पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध कराती है। यह सहायता किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती है।
पीली रोली रोग गेहूँ की फसल के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। ठंड और नमी भरे मौसम में इस रोग के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। कृषि विभाग द्वारा जारी परामर्शिका का पालन कर किसान इस रोग पर नियंत्रण पा सकते हैं। किसानों को समय-समय पर फसल की निगरानी करनी चाहिए और शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। सही समय पर सही कदम उठाने से फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है। यह जानकारी आपके लिए लाभदायक हो सकती है, इसे अपने अन्य किसान साथियों के साथ भी साझा करें।
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