एमपी 3465 गेहूं किस्म क्यों खोज रहे हैं किसान?
02 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: एमपी 3465 गेहूं किस्म क्यों खोज रहे हैं किसान? – मध्यप्रदेश के किसानों के बीच इन दिनों जिस गेहूं किस्म की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है एमपी 3465। जब भी किसान उच्च उत्पादन, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और स्थिर उपज वाली किस्मों की तलाश करते हैं, तो एमपी 3465 तेजी से उनकी पहली पसंद बनती जा रही है। यह किस्म जेएनकेवीवी, जबलपुर द्वारा विकसित की गई है और 29 जनवरी 2021 को आधिकारिक रूप से अधिसूचित हुई थी।
उच्च उत्पादन क्षमता से किसानों का बढ़ा भरोसा
एमपी 3465 को समय पर बोई गई सिंचित परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से बनाया गया है। यही कारण है कि यह किस्म औसतन 59.41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, जबकि इसकी संभावित उपज 73.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है। इस स्तर की उत्पादकता किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए किसान इसकी खूब तलाश कर रहे हैं।
गेहूं में पत्ती झुलसा (लीफ रस्ट) और पीला रतुआ (येलो रस्ट) दो प्रमुख रोग हैं, जिनसे उपज में भारी नुकसान होता है। एमपी 3465 इन दोनों रोगों के प्रति प्रतिरोधक है, जिससे किसानों को बार-बार दवाइयों का छिड़काव करने की जरूरत कम पड़ती है। यह प्रतिरोधक क्षमता फसल को स्थिर और सुरक्षित बनाती है।
मध्यप्रदेश की परिस्थितियों के लिए उपयुक्त
एमपी 3465 को खासतौर पर मध्यप्रदेश की समय पर बोई जाने वाली सिंचित खेती के लिए अनुशंसित किया गया है। प्रदेश के ज्यादातर गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में यही पैटर्न अपनाया जाता है, इसलिए यह किस्म स्थानीय परिस्थितियों में बेहतरीन प्रदर्शन करती है।
अच्छा प्रोटीन – उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी
एमपी 3465 केवल उपज में ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता में भी बेहतर है। इसमें अच्छा प्रोटीन पाए जाने से किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिल सकते हैं और उपभोक्ताओं को पौष्टिक गेहूं उपलब्ध होता है। इस कारण यह किस्म मिलर्स और व्यापारियों के लिए भी एक अच्छा विकल्प बन रही है।
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