मूंग में खरपतवार नियंत्रण – एक कदम जो उपज दोगुनी कर सकता है
16 मई 2025, नई दिल्ली: मूंग में खरपतवार नियंत्रण – एक कदम जो उपज दोगुनी कर सकता है – मूंग की खेती में खरपतवार एक छिपा हुआ खतरा हैं। ये फसल की उपज को 30–50% तक घटा सकते हैं। इसीलिए समय पर खरपतवार नियंत्रण जरूरी है।
बुवाई के पहले 30 दिन सबसे अहम होते हैं। इस दौरान मूंग के पौधे छोटे होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जबकि दूब घास, मुत्थी और अन्य चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार तेज़ी से बढ़ते हैं और फसल को दबा देते हैं।
जहां मज़दूरी उपलब्ध हो, वहां 20–25 दिन के बीच हाथ से एक बार निराई करना बहुत फायदेमंद होता है। इससे न केवल खरपतवार हटते हैं बल्कि मिट्टी में हवा का प्रवाह भी अच्छा होता है।
जहां मजदूरी की कमी हो, वहां बोने के 2 दिन के भीतर पेंडीमेथालिन जैसे पूर्व-उदय खरपतवारनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। 15–20 दिन बाद जरूरत होने पर इमेजेथापायर जैसे उत्तर-उदय विकल्प भी उपयोग किए जा सकते हैं।
इनके प्रभाव के लिए हल्की सिंचाई या बारिश आवश्यक होती है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो रसायन सतह पर ही रह जाता है और खरपतवार पनपते रहते हैं।
लगातार केवल अनाज वाली फसलें उगाने से कुछ खरपतवार बार-बार पनपते हैं। मूंग जैसी फसलों को चक्र में शामिल करने से इनकी जीवन-चक्र टूटती है।
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