फसल की खेती (Crop Cultivation)

देर से बुवाई के लिए बेस्ट है गेहूं की किस्म HD 3298, कम दिनों में मिलेगा बंपर उत्पादन और गुणवत्तापूर्ण दानें

15 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: देर से बुवाई के लिए बेस्ट है गेहूं की किस्म HD 3298, कम दिनों में मिलेगा बंपर उत्पादन और गुणवत्तापूर्ण दानें – उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में कई बार किसान धान, गन्ना या आलू जैसी फसलें काटने के बाद ही गेहूं की बुवाई कर पाते हैं। जब पिछली फसल की कटाई में देरी हो जाती है और बुवाई जनवरी तक खिंच जाती है, तो परंपरागत गेहूं की किस्में समय पर पकने में समस्या देती हैं। पुराने बीज देर से बोए जाने पर गर्मी की मार झेल नहीं पाते और दाने पिचक जाते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है।

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ऐसे में HD 3298 किस्म किसानों के लिए एक उपयोगी समाधान बनकर सामने आई है। यह नई किस्म देर से बोने की स्थिति में भी तेजी से बढ़ती है और कम समय में पककर तैयार हो जाती है। HD 3298 लगभग 100-105 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान अपनी अगली फसल की तैयारी समय पर कर सकते हैं।

अधिक पैदावार, बेहतर आमदनी

किसानों के लिए किसी भी नई किस्म की सफलता उसकी पैदावार क्षमता पर निर्भर करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, HD 3298 की औसत पैदावार 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है, जबकि इसकी अधिकतम पैदावार 47.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है।

जहां परंपरागत किस्में देर से बोने पर 30-35 क्विंटल तक ही सीमित रह जाती थीं, HD 3298 किसानों को प्रति हेक्टेयर 4-8 क्विंटल अधिक अनाज दे सकती है। इसका मतलब है कि किसान अधिक उत्पादन के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।

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पोषण से भरपूर

HD 3298 केवल पैदावार के लिए नहीं, बल्कि पोषण के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसे बायोफोर्टिफाइड गेहूं के रूप में विकसित किया गया है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा लगभग 12.12% है, जो शरीर के विकास और मजबूती के लिए जरूरी है। इसके साथ ही, इसमें आयरन की मात्रा 43.1 पीपीएम है, जो सामान्य किस्मों की तुलना में काफी अधिक है।

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गर्मी और बीमारियों से मजबूत

जलवायु परिवर्तन के चलते मार्च और अप्रैल में अचानक बढ़ती गर्मी गेहूं के लिए बड़ा खतरा बन गई है। परंपरागत किस्मों में तेज गर्मी के कारण दाना जल्दी सूख जाता है। HD 3298 क्लाइमेट-रेजिलिएंट यानी बदलते मौसम के अनुकूल है और इसे टर्मिनल हीट स्ट्रेस सहन करने के लिए तैयार किया गया है।

साथ ही, यह किस्म कई गंभीर बीमारियों जैसे पीला रतुआ, भूरा रतुआ, करनाल बंट और पाउचरी मिल्ड्यू के खिलाफ भी प्रतिरोधक है।

उपयुक्त क्षेत्र और किसान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने HD 3298 को मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (NWPZ) के लिए अनुशंसित किया है। इसमें शामिल हैं: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र।

इन राज्यों के किसान, जो सिंचित क्षेत्र में खेती करते हैं और जिनकी बुवाई जनवरी के पहले सप्ताह तक खिंच जाती है, वे इस किस्म पर भरोसा कर सकते हैं। HD 3298 की खेती से न केवल पैदावार सुरक्षित रहेगी, बल्कि उन्हें बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले अनाज का बेहतर मूल्य भी मिलेगा।

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