फसल की खेती (Crop Cultivation)

अक्टूबर में करें सरसों की अगेती बुवाई, IARI की इन उन्नत किस्मों से मिलेगी 35 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज

10 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: अक्टूबर में करें सरसों की अगेती बुवाई, IARI की इन उन्नत किस्मों से मिलेगी 35 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज – अक्टूबर महीने की शुरुआत के साथ ही सरसों की अगेती बुवाई शुरू हो जाती है। यह समय सरसों की बुवाई करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। सरसों फसल न सिर्फ तेल उत्पादन के लिए जरूरी है, बल्कि पुश चारा, खली और निर्यात के लिहाज से भी काफी लाभकारी होती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के मुताबिक, अगर किसान 10 से 30 अक्टूबर के बीच सरसों की बुवाई करते हैं और उन्नत किस्में चुनते हैं, तो हर हेक्टेयर से 30 से 35 क्विंटल उपज मिल सकती हैं।

अगेती बुवाई करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पौधे मजबूत बनते हैं, ठंड और फसल रोगों से सुरक्षित रहते है। इसके साथ ही, फसल भी जल्दी पक जाती है, इससे किसान बाजार में फसल जल्दी बेचकर बेहतर दाम पा सकते है। वहीं, यदि आप बुवाई देर से करेंगे तो पैदावार भी सही नहीं होगी, और  फसल की क्वालिटी भी प्रभावित होगी।

IARI की इन उन्नत किस्मों से मिलेगी रिकॉर्ड उपज

IARI द्वारा विकसित की गई कुछ चुनिंदा किस्में किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही हैं। यह वैरायटी कम एरोसिक ऐसिड वाला तेल देती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, साथ ही इसे पशुओं के चारे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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 1. पूसा करिश्मा- पूसा करिश्मा देश की पहली कम एरोसिक ऐसिड वाली किस्म है, जो सुरक्षित तेल के साथ बढ़िया उपज प्रदान करती है।

2. पूसा सरसों 21, 22, 24, 29- पूसा की इस किस्म के पौधे की लंबाई अधिक होती है और इसके दाने वजनदार और मजबूत होते है। इसकी खासियत है कि यह देर से पकती हैं।

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3. पूसा सरसों 30 और 32- पूसा सरसों 30 और पूसा सरसों 32 दोनों की वैरायटी खासतौर पर हाई यील्डिंग के लिए जानी जाती हैं। यह प्रति हेक्टेयर 30–35 क्विंटल तक उपज देती हैं।

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इसके अलावा, पूसा की डबल जीरो किस्मों में भी एरोसिक एसिड और ग्लूकोसिनोलेट्स दोनों ही बेहद कम मात्रा में होते हैं। इससे यह तेल और पोल्ट्री व पशुपालन के लिए एकदम बढ़िया विकल्प है। वहीं, पूसा डबल जीरो 31 और नई पूसा डबल जीरो (2025) किस्में 140–145 दिनों में तैयार हो जाती हैं और 28 से 34 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देती हैं।

पारंपरिक किस्में भी दे रही शानदार प्रदर्शन

अगर आप परंपरागत किस्मों को प्राथमिकता देते हैं, तो IARI द्वारा विकसित पूसा बोल्ड, पूसा जय किसान, पूसा जगन्नाथ और पूसा विजय जैसी किस्में भी भरोसेमंद हैं। खासतौर से पूसा विजय तो 145 दिनों में 32–36 क्विंटल तक उपज दे सकती है।

बुवाई से पहले इन बातों का रखें ध्यान

अब बुवाई की तैयारी की बात करें, तो सिर्फ किस्म ही नहीं, खेत और बीज की सही तैयारी भी जरूरी है। हमेशा प्रमाणित बीज ही खरीदें, बीजोपचार जरूर करें ताकि फंगल या कीट बीमारियों से बचाव हो सके। खेत की गहरी जुताई करें और पानी निकासी का पूरा ध्यान रखें, ये छोटी-छोटी बातें हैं, लेकिन पैदावार पर सीधा असर डालती हैं।

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