मूंग में कीट और रोग प्रबंधन – समय पर कार्रवाई से स्वस्थ फसल
16 मई 2025, नई दिल्ली: मूंग में कीट और रोग प्रबंधन – समय पर कार्रवाई से स्वस्थ फसल – गर्मियों में मूंग की फसल अब फूल व फली बनने की अवस्था में पहुंच रही है। इस समय पर कीट और रोगों का प्रबंधन बेहद जरूरी हो जाता है। सफेद मक्खी, थ्रिप्स, फली छेदक जैसे कीट और येलो मोज़ेक वायरस जैसे रोग अगर समय पर नियंत्रित न किए जाएं, तो भारी नुकसान हो सकता है।
सफेद मक्खी न केवल रस चूसती है बल्कि येलो मोज़ेक वायरस भी फैलाती है। थ्रिप्स पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि फली छेदक सीधे फलियों को नुकसान पहुंचाते हैं। किसान सप्ताह में दो बार फसल का निरीक्षण करें और पत्तियों में सिकुड़न, फूल झड़ना या फलियों में छेद जैसे संकेतों पर ध्यान दें।
कीटों की प्रारंभिक जानकारी के लिए पीले चिपचिपे कार्ड लगाना फायदेमंद होता है। इमिडाक्लोप्रिड और एमामेक्टिन बेंजोएट जैसे प्रणालीगत कीटनाशक कारगर हैं लेकिन इनका अंधाधुंध उपयोग नहीं करना चाहिए।
रोग नियंत्रण में प्रतिरोधी किस्मों जैसे पूसा विशाल और पूसा 105 का प्रयोग करना बेहतर होता है। बीजोपचार और रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटा देना जरूरी है।
प्राकृतिक शत्रुओं जैसे लेडी बर्ड बीटल और परजीवी ततैया को बढ़ावा देने से कीट नियंत्रण टिकाऊ बनता है। जैविक खेती में नीम तेल का छिड़काव भी कारगर होता है।
कीटनाशक छिड़काव के 2–3 दिन बाद खेत में निरीक्षण ज़रूरी है। यदि कीट बने रहें तो कृषि अधिकारियों से सलाह लें और कीटनाशकों को घुमाकर प्रयोग करें।
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